भीषण आपदा से जूझ रहे पिथौरागढ के एक गांव की हकीकत ये हैं कि यहां सम्पर्क मार्ग टूट जाने से लोग जान हथेली पर रखकर बाजार जाते हैं और स्कूली बच्च भी जान जोखिम में डाल कर स्कूल पढने जाते हैं। पांअो फिसल जाए तो सीधे चार सो मीटर गहरी खाई जिसे देख कर आपके होश उड जाएं मगर जिनके लिए इस खतरनाक रास्ते पर चलना मजबूरी है उनके लिए हर दिन खतरों से भरा है।
हम बात कर रहे हैं कौली गांव की जहां कौली से अस्याली होकर बलीगाड़ तक बन रही सड़क के मलबे से अस्याली गांव को जाने वाला पैदल रास्ता पूरी तरह टूट गया है। इस कारण लोगों को इसी खतरनाक रास्ते से जान हथेली पर रखकर निकलना पड़ रहा है। इसी रास्ते से होकर अस्याली गांव के 25 बच्चे थल बाजार के स्कूलों में आते हैं। अस्याली गांव के लोग रामगंगा में खुद अस्थायी पुल बनाते हैं। यह पुल इस बार जून में नदी का जलस्तर बढ़ते ही बह गया था।
उसके बाद गांव के लोगों को थल बाजार आने के लिए पांच किलोमीटर दूर घटीगाड़ के झूलापुल तक जाना पड़ रहा है। घटीगाड़ जाने का जो रास्ता है वह पूरी तरह टूट गया है। टूटे रास्ते के ठीक नीचे रामगंगा बहती है। यदि किसी का पैर फिसला तो सीधे रामगंगा में गिरने का खतरा है।
गांव के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रजवार ने आठ अगस्त को क्षेत्र के दौरे पर आई विधायक मीना गंगोला के सामने भी रास्ते की समस्या रखी थी। विधायक ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दिए थे कि तीन दिन के भीतर रास्ते की मरम्मत की जाए, लेकिन दस दिन बाद भी रास्ता नहीं सुधरा है। वहीं अब गांव के लोगों का कहना है कि पैदल रास्ते की मरम्मत के लिए आंदोलन किया जाएगा।