मासूमों की हाईकोर्ट से गुहार, हमें शिक्षक दे दो

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एक फरियाद मासूमों की भी सुन लो, जिनको पढने की चाह तो है मगर उनकी पढाई पुरी हो कैसे क्योकि शिक्षकों की कमी के चलते मासूम बच्चों के स्कूल में शिक्षक ही नहीं है। एेसे में बच्चों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है, उन मासूम बच्चों ने मासुमियत भरी गुहार हाईकोर्ट से लगाई है, साथ ही सोशल मिडिया के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयास भी किया है।

अल्मोड़ा का राजकीय इंटर कालेज मासी, शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। यहां छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिससे परेशान होकर अभिभावक संघ और छात्र-छात्राओं ने हार्इकोर्ट से गुहार लगार्इ है।  राजकीय इंटर कॉलेज मासी में शिक्षकों की कमी के चलते छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। सही तरीके से पढ़ार्इ ना होने और शिक्षकों की कमी की वजह से वह  बेहद परेशान हैं। सरकार के नुमाइंदों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी जब उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्होंने एक बड़ा फैसला ले लिया। छात्र-छात्राओं ने अभिभावक संघ के साथ मिलकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने शिक्षकों की कमी दूर करने की मांग की है। 1987 में विज्ञान वर्ग की मान्यता प्राप्त जीआइसी मासी में कनरै, आदीग्राम, तिमिलखाल, डोबरी, ऊंचावाहन, नौगांव, पनाली, सिमार, केदार और बग्वालीखेत समेत करीब दो दर्जन गांवों के बच्चे भविष्य संवारने आते हैं।

विद्यालय की कक्षा-11 की छात्रा प्रज्ञा सिंह, अनिशा शर्मा, भावना बिष्ट ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा है कि कॉलेज में रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य विषयों के पद खाली हैं। इस वजह से पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है और उनका भविष्य अंधकार की ओर बढ़ रहा है। इन बच्चों को उम्मीद है कि हाईकोर्ट उनकी अर्जी पर जरूर विचार करेगा और शिक्षकों की कमी पूरी होगी। छात्र-छात्राओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपील जारी की है, साथ ही अभिभावक संघ का वह पत्र भी संलग्न किया है, जिसमें बताया गया है कि यदि जल्द शिक्षक और कार्यालय लिपिकों की नियुक्ति नहीं हुई तो छात्र-छात्राएं कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे।