देहरादून। राज्य स्थापना दिवस समारोह की श्रंखला में मुख्यमंत्री ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को इस लिहाज से सरकारी स्कूलों में भेजा कि वह बच्चों को संबोधित कर उन्हें सही दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित कर सके। लेकिन, जब सचिव स्कूलों में पहुंचे तो उल्टे बच्चों ने अधिकारियों पर ऐसे सवाल दाग दिए, जिनके जवाब फिलहाल तो उनके पास नहीं थे। कम से कम राजकीय इंटर कॉलेज कारगी में तो ऐसा ही हुआ। छात्राओं ने सचिव के सामने सरकारी व्यवस्थाओं की बखिया उखाड़ दी।
सोमवार को सचिव डी सेंथिल पंडियन ने छात्राओं को संबोधित करने के बाद उनसे सवाल पूछने को कहा। इतना कहते ही एक छात्रा खड़ी हुई और बोली, सर, हमारी कक्षाओं में बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं, सर्दी में तो हम जैसे-तैसे काम चला लेते हैं, लेकिन गर्मियों में चार-चार लड़कियों को एक-एक सीट पर बैठना पड़ता है, जिससे हम ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाती। दूसरी छात्रा ने कहा कि, सर, मैं पुलिस में जाना चाहती हूं लेकिन हमारे स्कूल में एनसीसी नहीं है। एनसीसी से भर्ती में 15 अंक मिलते हैं, लेकिन हमें इसका नुकसान हो रहा है। तभी तीसरी बालिका खड़ी हुई और बोली सर, यह विद्यालय 2016 में उच्चीकृत हो गया था, जिसे 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक विद्यालय में एक अदद लेबोरेट्री तक उपलब्ध नहीं कराई गई, अब हम कैसे पढ़ाई करें।
चौथी छात्रा ने कहा कि विद्यालय में कक्षा छह, सात व आठ में 137 छात्राएं पढ़ती हैं, लेकिन उनके लिए सिर्फ एक कंप्यूटर दिया गया है। एक कंप्यूटर से 137 छात्राएं कैसे कंप्यूटर का ज्ञान ले सकती हैं। इसके अलावा भी छात्राओं ने कहा कि छात्राएं खेल में आगे बढऩा चाहती हैं, लेकिन न पीटीआई की व्यवस्था है और न खेल का मैदान है। छात्राओं ने एक के बाद एक शहरी क्षेत्रों की सरकारी शिक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए। इतना ही नहीं, छात्राओं के सवालों पर सचिव भी गंभीर नजर आए, लेकिन वह कैंपस से बस छात्राओं को यह आश्वासन देकर आ गए कि उनकी समस्याओं पर तुरंत उचित कार्रवाई की जाएगी।।