गन्ने की नई प्रजाति किसानों की मिठास बढ़ाएगी। पहली बार करनाल, हरियाणा से नई प्रजाति को-118 बीज मंगवाकर तराई में यह प्रयोग हो रहा है। भारतीय गन्ना अनुसंधान केंद्र, कोयंबटूर की इस प्रजाति की खासियत सामान्य से अधिक उत्पादन है। इससे किसानों को तो लाभ होगा ही, बेहतर रिकवरी के चलते चीनी मिलों को भी आर्थिक लाभ होगा।
तराई में गेहूं, धान व गन्ने की अधिक खेती होती है। किसान भी आधुनिक तरीके से खेती करते हैं। चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों रुपये बकाया है। शहरों का विस्तार होने से गन्ने का रकबा कम होता जा रहा है। दूसरी ओर गन्ने की वाजिब कीमत न मिलने से किसानों का खेती से मोहभंग हो रहा है।
पिछले साल करीब 85 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती की गई थी। जबकि उत्तर प्रदेश के समय में राज्य में एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में खेती की जाती थी। गन्ने का रकबा व उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ना विभाग जुटा है। इसके लिए विभाग ने करनाल से को-118 गन्ने की प्रजाति का तीन सौ कुंतल बीज मंगाया है। किसानों में वितरण भी कर दिया गया है।
इसकी विशेषता है कि जिले में जो प्रचलित प्रजातियां लगाई जाती हैं, उनकी अपेक्षा नई प्रजाति की उत्पादन क्षमता करीब 20 फीसद अधिक है। यहीं नहीं, चीनी की रिकवरी भी अधिक है। मिठास क्षमता बढ़ने से गन्ने का वजन बढ़ेगा और चीनी उत्पादन अधिक होने से चीनी मिलों को भी फायदा होगा। इस सीजन में 36 हजार हेक्टेयर में गन्ने की बुवाई हो चुकी है और शेष में अभी जारी भी है। पेड़ी को भी मिला दें तो 71 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है।
उपायुक्त (गन्ना) चंद्र सिंह इमलाल का कहना है कि पहली बार हरियाणा से को-118 प्रजाति मंगाई गई है। इसकी खासियत सामान्य प्रजातियों से अधिक करीब 20 फीसद उत्पादन अधिक होगी। चीनी की रिकवरी 0.5 से डेढ़ फीसद अधिक होगी। राज्य में इस बार एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती कराने का लक्ष्य है। किसानों को विभाग व सरकार की ओर से हरसंभव मदद करने का प्रयास किया जा रही है।