उत्तराखंड में शिक्षा के बदहाल होने के और भी कई पहलू सामने आ रहे है। शिक्षकों की नियुक्ति और समायोजन जैसी मांगों को लेकर धरने प्रदर्शन तो आए दिन चलते ही रहते हैं लेकिन, अब विभाग की अनदेखी के चलते भी शिक्षक परेशान हैं।
राज्य के सरकारी स्कूलों की बात करें तो यहां के स्कूलों के हालात ठीक नहीं हैं। राज्य के शिक्षकों को पढ़ाने के बाद भी वेतन नहीं मिलेगा तो कैसे गुणवत्ता और व्यवस्थाओं में सुधार आएगा। मामला उधमसिंह नगर के गुरुग्राम इंटर कॉलेज व अन्य छह स्कूलों से जुड़ा है। यहां अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण के बाद शिक्षकों ने तैनाती भी ली, लेकिन पूर्व तैनाती स्थल से लास्ट पे स्लिप यानी एलपीएस जारी न हो पाने के कारण शिक्षकों को वेतन तीन माह से अटका हुआ है। आलम यह है कि शिक्षकों को बीते अप्रैल माह से अब तक विभाग की ओर से वेतन जारी नहीं हो पाया है। शिक्षकों के मुताबिक, इन स्कूलों में विभागीय काउंसिलिंग के बाद उन्हें अनुरोध के आधार पर नई तैनाती मिली। लेकिन, इस प्रक्रिया के बीच पूर्व तैनाती स्थल से 50 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों के स्थानांतरण हो गए।
शिक्षक अमरेंद्र ने बताया कि अल्मोड़ा स्थित स्कूल में पांच शिक्षक थे। इनमें से तीन के विभागीय काउंसिलिंग के दौरान स्थानांतरण हो गए। इसी प्रकार कई अन्य स्कूलों के शिक्षकों के भी स्थानांतरण किए गए। इन शिक्षकों ने नए तैनाती स्थलों पर कार्यभार भी ग्राहण कर लिया। इसके बाद डीएम ने स्कूलों में हुए 50 प्रतिशत से ज्यादा स्थानांरतण के मामलों को देखते हुए स्थानांतरित हुए शिक्षकों की एलपीएस पर रोक लगा दी। इसके चलते शिक्षकों का वेतन रुक गया। अब स्थिति यह है कि बीते तीन माह से शिक्षकों को उनका वेतन नहीं मिल पा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि पूरा विभागीय फैसला था, इसके बाद शिक्षकों का वेतन रोकना किसी भी प्रकार से तर्कसंगत नहीं है। मामले में अभी तक केवल आश्वासनों के अलावा कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई।
दूसरी ओर, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी का कहना है कि यह पूरा मामला आचार संहिता के कारण अटका था। इसके बाद बोर्ड की कापियों की जांच के चलते शिक्षकों को प्रतिस्थापित नहीं किया गया। यदि किसी स्कूल में शिक्षक नहीं थे और स्थानांरित होकर किसी अन्य स्थान पर चले गए हैं तो डीएम को यह अधिकार है कि वे तैनाती को रोक सकते हैं। महानिदेशक ने बताया कि जल्द से जल्द ऐसे मामलों का निपटारा किया जाएगा। उम्मीद है कि एक माह के अंदर वेतन व अन्य मामलों का समाधान कर दिया जाएगा।