बद्रीनाथ के “प्रसाद” ने कैसे बदली किसानों की तकदीर

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देहरादून,उत्तराखंड सरकार ने हैस्को के सहयोग से बनने वाले खास किस्म के प्रसाद के माध्यम से सूबे के काश्तकारों और स्वयं सहायता समूहों से जुड़े लोगों के जीवन में क्रांतिकारी आर्थिक बदलाव लाने का प्रयास शुरू किया है। इसमें मुख्य मेहनत किसानों और स्वयं सहायता समूहों की होगी। उन्हें तकनीकी जानकारी हैस्को और आर्थिक सहयोग सरकार देगी। प्रसाद निर्माण कार्यक्रम में लगने वाले लोगों को प्रशिक्षित करने का जिम्मा भी सरकार का होगा।

उत्तराखंड के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को लेकर यह विचार वर्तमान मुख्यमंत्री के कृषि मंत्रित्व कार्यकाल में प्रारंभ हुआ था जिसे अब अमलीजामा पहनाया जा रहा है। इस प्रसाद में रिंगाल की टोकरी, पत्थर की मूर्ति, चौलाई, कुट्टू, मंडुवा, झंगोरा आदि पर्वतीय उत्पादों का प्रयोग होगा, इन्हें शुद्ध देसी घी में प्रसाद के रूप में तैयार किया जाएगा।

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इसी प्रकार के तैयार प्रसाद को बदरीनाथ धाम में गोविंद सिंह द्वारा बेचा गया, जिन्होंने 19 लाख का प्रसाद बेचा। इस प्रसाद में 10 लाख रु. की लागत आई और 9 लाख रु. उन्हें बचत के रूप में मिल गए। इसी प्रकार का अभिनव प्रयोग उत्तराखंड के सभी प्रमुख 625 मंदिरों में किया जाएगा, जिसमें इन उत्पादों और प्रसाद की ब्रांडिंग की जाएगी। मुख्यमंत्री का कहना है कि जिस प्रकार वैष्णोदेवी का प्रसाद एक ब्रांड के रूप में पूरे देश में जाता है, ऐसा ही प्रसाद उत्तराखंड में भी होगा।

आंकड़े देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में लगभग 3 करोड़ 15 लाख श्रद्धालु प्रतिवर्ष आते हैं, जो हमारी जनसंख्या का तीन गुना हैं। इनमें से केवल 80 लाख यात्रियों को लक्षित किया जाएगा और उन्हें यह प्रसाद बेचा जाएगा। अनुमानित रूप से यदि 100 रुपये का प्रसाद एक व्यक्ति खरीदे तो 80 करोड़ की राशि हमारे किसानों को आय के रूप में मिलती है, जिससे उनकी आमदनी दुगनी तो होगी ही, जीवन स्तर भी ऊंचा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे हमारे किसानों को उत्पादों के उचित मूल्य मिलेंगे और उनकी आय बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 625 मंदिरों में चार स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा जा सकता है। एक स्वयं सहायता समूह में 10 महिलाएं होती है। इस प्रकार 40 महिलाओं को एक मंदिर से रोजगार मिलेगा। इनमें किसानों के उत्पाद खरीदने, निर्माण करने, विपणन करने आदि के कार्य इन सहायता समूहों द्वारा किए जाएंगे। इसके साथ ही साथ प्रसाद की पैकिंग तथा उसमें लगने वाले सामान भी हमें आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे आठ अनाज इस प्रसाद के लिए महत्वपूर्ण है, जिनमें मंडुवा और झंगोरा आदि शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, “इस प्रसाद के निर्माण में हैस्को तकनीकी सहयोग देगी और सरकार सहयोग करेगी। कुछ क्षेत्रों में जहां इस प्रसाद का विरोध हो रहा है वहां दुकानों का प्रबंध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। कंडी का कच्चा माल यहीं का होगा, जिसका पूरा लाभ प्रदेश को होगा।” हैस्को के प्रमुख पद्मश्री अनिल जोशी का कहना है कि, “सरकार और हैस्को इनको तकनीकी और विशेषज्ञ जानकारी देंगे ताकि इन स्वयं सहायता समूहों तथा उत्तराखंड के बाशिंदों के लिए यह प्रयास वरदान साबित हो सके।”