वानिकी व पर्यावरण शोध पर साथ कार्य करेंगे एफआरआई व टैरी

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देहरादून, वन अनुसंधान संस्थानऔर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार और ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टैरी) नई दिल्ली के बीच वानिकी एवं पर्यावरण शोध के क्षेत्र में सहयोगपूर्ण शोध, भूमि निम्नीकरण, वन जैवविविधता, वन जैव प्रौद्योगिकी, वन अर्थशास्त्र, संसाधन मैपिंग, जलवायु परिवर्तन नीति शोध एवं क्षमता निर्माण हेतु किया गया।

समझौता ज्ञापन पर डा. एससी गैरोला, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद एवं डा. अजय माथुर, महानिदेशक(टैरी) ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डा. सविता, टैरी निदेशक डा. जेवी शर्मा तथा भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। समझौता ज्ञापन 10 वर्षों के लिए किया गया है।

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद पैन इंडिया के जरिए देशभर में स्थित अपने संस्थानों एवं केन्द्रों में शोध परियोजनाएं, वानिकी अनुसंधान को प्रोत्साहन एवं सहयोग, वानिकी एवं संबंधित विज्ञान के लिए वन अनुसंधान संस्थान मानित विश्वविद्यालय के माध्यम से वानिकी, काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर्यावरण प्रबंधन तथा कागज एवं लुगदी प्रौद्योगिकी में परास्नातक एवं पीएचडी(वानिकी) पाठ्यक्रम भी संचालित करती है।

महानिदेशक टेरी डॉ. एससी गैरोला ने बताया कि, “टैरी की स्थापना 1974 में की गई थी, यह ऊर्जा मुद्दों का एक सूचना केन्द्र है। पिछले कई वर्षों से टैरी से जुड़े कई वैश्विक संस्थान तथा केन्द्र है, जो सतत विकास के लिए विभिन्न संगठनों से जुडे हुए है। टैरी पिछले 40 वर्षों से वाटरशेड प्रबंधन, पेमेंट फाॅर इकोसिस्टम सेवाएं, क्षमता निर्माण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, वन प्रबंधन भागीदारी, ऊर्जा पर्यावरण प्रौद्योगिकी से अलग प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग, प्रदूषण प्रबंधन, जैव प्रौद्योगिकी तथा जैव संसाधन, भू-विज्ञान तथा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों पर प्रकाश डाल रहा है।इस गठबंधन से सिनर्जी के क्षेत्र में सहयोग बढेगा।”