पर्यावरण संरक्षण को जीवित करेगी फिल्म ”दि विशिंग ट्री”

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    दि विशिंग ट्री (कल्पवृक्ष), एक ऐसी फिल्म है जो लोगों के अंदर एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण की भावाना को जगा देगी, यह फिल्म जल्दी ही सैल्यूलाॅइड यानि की फिल्मी रील पर दिखाई देगी। आपको बतांदे कि पर्यावरण संरक्षण पर बनी यह फिल्म आने वाले 9 जून को रिलीज होगी। इस फिल्म की डायरेक्टर देहरादून की मनिका शर्मा है, और इस फिल्म को यूनियन इंवारनमेंट और फारेस्ट मिनिस्ट्री से भी सहयोग मिला है।

    इस फिल्म की अदाकारा अनुभवी अभिनेत्री शबाना आज़मी हैं जो पर्यावरण की भावना के रूप में अभिनय कर रही हैं।भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में अपनी आवाज़ दि विशिंग ट्री यानी कल्पवृक्ष को दी है। यह फिल्म, 6000 साल पुरानी कल्पवृक्ष और विशिंग ट्री के चारों ओर घूमती है और इसमें पांच बच्चों का किरदार किस तरह से इस पेड़ से भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ हैं और कैसे यह एकजुट होकर अपने जादुई पेड़ को विनाश से बचाते हैं यह दिखाया गया है।

    लेखक-फिल्म निर्माता जिनके माता-पिता देहरादून के रहने वाले हैं उन्होंने कहा कि, “इस फिल्म का विचार मेरे दिमाग में तब आया जब मैं कनाडा में 1000 साल पुराने पेड़ को गले से लगा रही थी। मुझे लगा कि इसमें कुछ तो ऐसा है जो मुझे कुछ हटकर करने पर मजबूर कर रहा और मैं तुरंत इस कहानी को बताने के लिए उत्सुक महसूस करने लगी।”

    मेरे रिसर्च के दौरान मुझे बहुत से पुराने पेड़ो के बारें मे पता चला, जिनमें से एक पेड़ 5 हजार साल पुराना है जो अभी भी केलिफाॅर्निया में हैं, मुझे इससे भी फिल्म को बनाने में प्रेरणा मिली। शबाना आजमी के अलावा इस फिल्म में बहुत से नायाब सितारे काम कर रहे जैसे कि मकारांद देशपांडे, सौरभ शुक्ला, रंजीत कपूर और शेरनाज़ पटेल। दुनिया के कुछ बेहतरीन टेक्निशियन ने इस फिल्म में विजुवल इफ्केट दिया है।

    फिल्म के निर्देशक ने कहा कि, “यह पेड़ों के लिए मेरी श्रद्धांजलि है और मुझे उम्मीद है कि यह लोगों, विशेषकर बच्चों को एक बार फिर से अपनी जन्मभूमि प्रकृति से जोड़ने का काम करेगा।” आपको बतादें कि इस फिल्म की चर्चा नेटफिल्क्स, इंटरनेट स्ट्रीमींग सर्विस व दुनिया के कोने कोने में लगभग 30 अलग-अलग भाषाओं में चला रहा है।

    शर्मा ने कहा कि, “मैं हमेशा मानती हूं कि सिनेमा को सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए। पर्यावरण जागरूकता और मानवता की चिंता जैसे सभी मुद्दों के लिए आवाज उठाने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल करना चाहिए।”

    फिल्म का एक और देहरादून कनेक्शन –

    शर्मा ने कहा, “मैं हमेशा देहरादून में आती हूं। यह एक ऐसी जगह जो मुझे बहुत प्रेरित करती है, मैं यहां के वातावरण और यहां के राजसी पेड़ों को धन्यवाद देती हूं। मेरे माता-पिता 2008 में देहरादून आ गए थे और तब से, जब भी मैं विश्राम लेना चाहती थी, मैं हमेशा देहरादून आती हूं।”