जल प्रबंधन के लिए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

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ऋषिकेष, परमार्थ निकेतन में मंगलवार से जल प्रबंधन के लिए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में केन्या, युगांडा, तंजानिया, लाइबेरिया, नाइजीरिया, जाम्बिया, नामीबिया, मोजाम्बिक, मेडागास्कर अन्य अफ्रीकी देशों के जल विशेषज्ञों ने सहभाग किया।

अफ्रीकी देशों से आए जल राजदूतों के दल ने परमार्थ निकेतन में वेद मंत्र, प्राणायाम, ध्यान, सूर्य नमस्कार, योग आसनों का अभ्यास कर ‘जल प्रबंधन के साथ जीवन प्रबंधन के गुर’ भी सीखे। साथ ही जल राजदूतों ने विश्व शौचालय काॅलेज का भ्रमण कर ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस एवं गंगा एक्शन परिवार के माध्यम से जल प्रबंधन, जल की स्वच्छता एवं पर्यावरण स्वच्छता में सुधार लाने हेतु किये जा रहे व्यापक प्रयासों, विचारों एवं अनुभवों का आदान-प्रदान किया।

जीवा के विशेषज्ञों ने जल संरक्षण एवं स्वच्छता पर बनाई शॉर्ट फिल्मों एवं पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारत की जल समस्या के विषय में जल राजदूतों को अवगत कराया ताकि मिलकर इस वैश्विक समस्या का समाधान किया जा सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने अपने लाइव संदेश में कहा, ‘अफ्रीका को मानव सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है और भारत मानव संस्कारों की भूमि है मुझे लगता है अब दोनों देशों के जल विशेषज्ञ मिलकर इस वैश्विक जल समस्या का समाधान अवश्य खोज लेंगे।’

अफ्रीकी संस्कृति विविधता की संस्कृति है और भारत की संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति है, वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति है दोनों संस्कृतियां मिलकर एक नई जल संस्कृति को जन्म देगी जो दुनिया के लिये मिसाल बनेगी।

प्रोफेसर डाॅ डीएस आर्य ने कहा कि, ‘जल के संरक्षण के लिये तकनीकी, मार्गदर्शन, सहकारिता और जन सहभागिता नितांत आवश्यक है। जल का अशुद्ध होना प्रकृति प्रदत्त समस्या नहीं मानव निर्मित समस्या है। मानव व्यवहार में परिवर्तन कर कुछ हद तक हम समाधान प्राप्त कर सकते है।’

केन्या से आये जल विशेषज्ञ फिलिप विल्सन ने कहा, ‘जहां तक मैने जाना कि भारत की जल समस्या के लिये तकनीकी के साथ जागरुकता नितांत आवश्यक है। नाइजीरिया से आये प्रोफेसर ग्रेगरी एसी ने जीवा द्वारा स्वच्छता एवं शौचालय के लिए चलाए जा रहे अभियान की सराहना करते हुए कहा कि निश्चित ही रोचकता से पूर्ण जागरुकता का अभियान है।’

इस सम्मेलन में आईआईटी रुड़की के जल विज्ञान विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर डाॅ डीएस आर्य के मार्गदर्शन में विश्व के 13 देशों के 25 विश्व स्तरीय जल राजदूत, जल वैज्ञानिक एवं विशिष्ट अधिकारियों व छात्रों ने सहभाग किया।