मिसाल: ”कोदर्फी” की उत्तराखंडी मिठास से ये युवा दे रहे हैं पलायन को चुनौती

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राज्य बनने के बाद से ही उत्तराखंड के सामने पहाड़ के पानी और जवानी को रोकने की चुनौती मुंह खोलकर खड़ी  है। पलायन को रोकने के सरकारी दावों और कागजी बातों के बीच राज्य के कुछ युवाओं ने भी इससे निपटने को लिये कमर कस ली है।

koda barfi

ऐसे ही टिहरी के दो युवा रिवर्स पलायन को हकीकत बनाने में लगे हुए हैं। रिवर्स माइग्रेशन में पहली सीढ़ी इन्होंने देवकौश आर्गेनाईजेशन की फ़ूड प्रोसेसिंग का काम स्टार्ट किया जिसमें उन्होंने कोदर्फ़ी (मंडवा बर्फी), तिम्ले का अचार(अंजीर अचार),चूलू(वाईल्ड एप्रिकोट), मशरुम और अन्य पहाड़ी उत्पादों में काम किया जो सभी सफल रहे और आज पूरे देश के कोने-कोने में कोदर्फ़ी और अन्य प्रोड्क्टस की डिमांड है।आपको बतादें कि इस बर्फी में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजों की उगाई पहाड़ में हुई है चाहें वह मंडवा हो, सूखे फल हो, मूंगफली हो, घी हो या और कोई भी इंग्रडियेंट हो।

kuldeep and sandeep

संदीप सकलानी से टीम न्यूजपोस्ट से हुई बातचीत में कहा कि, ”देवकौश आर्गेनाइजेशन के सभी प्रोडक्ट के इंग्रिडियेंट्स नेचुरल पहाड़ी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बहुत ही सपोर्ट मिला साथ ही इसको प्रमोट भी किया। सीएम रावत ने कोदर्फ़ी को उत्तराखंड की बहुमूल्य स्वीट उत्पाद घोषित किया।”  साथ ही साथ नई टिहरी के नगर पालिका अध्यक्ष उमेश चरण गुसाईं ने भी पूरा सहयोग दिया और प्रमोट किया।

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देवकौश आर्गेनाइजेशन के को-फांउडर संदीप सकलानी, नई टिहरी और कुलदीप रावत, चम्बा को इस काम में टेक्निकल सपोर्ट कृषि विज्ञान केंद्र, रानिचोरी की फ़ूड प्रोसेसिंग साइंटिस्ट कु.कीर्ति कुमारी ने किया है। पिछले 2 साल में गढ़-माटी संगठन जिसकी प्रेसिडेंट रंजना रावत है उनके साथ मिलकर साथ ही 1400 किसानों के साथ कार्य कर रहें है, जिसके तहत 18 महिलाओं और 4 पुरुषों को टिहरी में रोजगार मिला।

kodarfi pic 1उत्तराखंड में उगने वाली फसल कोदे को जिस तरह से इन युवाओं ने पलायन के खिलाफ इस्तेमाल किया है वह वाकई प्रशंसनीय है। संदीप सकलानी, जो की राजस्थान में एक सिविल इंजीनियर थे मूल रूप से टिहरी के निवासी हैं। रिवर्स माइग्रेशन के प्लान से फ़रवरी 2016 वापस उत्तराखंड आये और उन्हें कुलदीप रावत मिले जो की एचएनबी गढ़वाल यूनिर्वसिटी से ग्रेजुएट हैं। एक जैसी सोच होने की वजह से इन दोनों ने साथ काम करने का फैसला किया। इतना ही नहीं उन्होंने नगर पालिका के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसके जरिये रोजगार दिया।संदीप कहते हैं कि, “आगे देवकौश आर्गेनाइजेशन रिवर्स माइग्रेशन के लिए 2018 के अंत तक 100 लोगों को रोजगार देने का टारगेट है।” संदीप और कुलदीप को उनकी इस पहल के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा ‘हिल-रत्न पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है। 26 साल के संदीप सकलानी और 25 साल के कुलदीप रावत ने ना सिर्फ रिवर्स पलायन के रास्ते खोलें हैं बल्कि उत्तराखंड की दम तोड़ती मिठाईयों को एक नई पहचान भी दिलाई है।टीम न्यूजपोस्ट कुलदीप और संदीप को उनकी इस पहल के लिए सलाम करता है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए शुभकामनाएं देता है।

यहां देखिए किस तरह से इन युवाओं ने पलायन को चुनौती दी हैंः विडियो साभारः सूचना निदेशालय,उत्तराखंड