अब राज्य की सड़कों पर अगर आप ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिये गढ़वाली या कुमाउंनी में संदेश सुने तो हैरानी न करें। मंगलवार को डीजीपी अनिल के रतूड़ी, ने राज्य की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए कहा कि ”फिलहाल यातायात व्यवस्था बेहतर बनाना पुलिस का मुख्य कार्य हो गया है क्योंकि जनता इससे ज्यादा प्रभावित है।जेसे कि उत्तराखण्ड राज्य पर्यटन प्रधान राज्य है और अधिक से अधिक संख्या में लोगों का आगमन यहाँ हो रहा है जिससे सड़कों पर भी यातायात का दबाव बढ़ रहा है । हमें अपने सीमित संसाधनों का प्रयोग करके जनता के हित में कार्य करना है।”
इस बैठक में कुछ खास बिन्दुओं पर विचार-विमर्श किया गयाः-
- दुर्घटना सम्भावित/बोटल नेक/ब्लैक स्पॉट स्थानों का चिन्हीकरण कर सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु चेतावनी बोर्ड लगाये जायेंगे।
- हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में 100-100 तथा जनपद पौड़ी एवं टिहरी में 30-30 यातायात कर्मियों की नियुक्ति होगी।
- सड़कों पर अतिक्रमण के खिलाफ 133 सीआरपीसी के अन्तर्गत कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
- समस्त जनपदों में नये पार्किंग स्थल विकसित किये जाने का निर्णय लिया गया।
- सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों जैसे ड्रंकन ड्राईविंग, रेड लाईट जम्पिंग, ओवर स्पीड, ओवर लोड़िंग, रैश ड्राईविंग, एवं मालवाहक वाहनों में सवारी बैठाना में शत-प्रतिशत डीएल निरस्तीकरण की कार्यवाही करने हेतु भी निर्देशित किया गया।
- पार्किंग स्थलों, बाईपास, फ्लाईओवर के निर्माण एवं सड़कों के सुधारीकरण हेतु अन्य सम्बन्धित विभागों एम0डी0डी0ए0,पी0डब्लू0डी0,एन0एच0आई0ए0 आदि से समन्वय स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है।
- प्रधानमंत्री भारत सरकार के निर्देशनुसार यातायात जागरुकता हेतु प्रदेश की स्थानीय बोलियों (गढ़वाली,कुमाऊंनी व जौनसारी) में यातायात जागरुकता संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रचारित-प्रसारित करने हेतु भी निर्देशित किया गया।
बैठक में एडीजी अशोक कुमार, एडीजी राम सिंह मीणा, समेत तमाम आला अधिकारी मौजूद रहे। केवल खुराना निदेशक ट्रैफिक पुलिस ने न्यूज़पोस्ट टीम से बातचीत में बताया कि, ‘आने वाले 16 जनवरी से हम पूरे प्रदेश में 5 भाषा यानि की हिंदी,अंग्रेजी,गढ़वाली,कुमाऊंनी और जौनसारी में ट्रैफिक से सभी संदेश चाहें वह रुट डायवर्ट हो या कोई भी ट्रैफिक से संबंधित बात हो उसे प्रदेश की पांच भाषाओं में अपने फेसबुक पेज और बाकी सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएंगें।इसके तहत यातायात पुलिस डिपार्टमेंट ऑडियो क्लीप भी इन पांच भाषाओं में बनाएगा।”
वहीं दूसरी तरफ सोच संस्था के फाउंडिंग सदस्य दीप नेगी जो प्रदेश की भाषा के अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं उनका कहना हैं कि यह वाकई एक सराहनीय पहल है जिसके चलते हमारी भाषा को ना केवल नई पहचान मिलेगी बल्कि धीरे-धीरे दूसरे विभागों में भी इसे महत्ता मिलेगी।