उत्तराखण्ड में ट्यूलिप की खेती होगी सफल और लाभदायक: राज्यपाल

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नाजुक, आकर्षक और महंगे फूलों में शुमार विदेशी पुष्प ‘ट्यूलिप’ ने राजभवन में अपना सौंदर्य बिखेरा है। कई रंगों में खिले अर्ली वैराइटी के ‘ट्यूलिप्स’ ने उत्तराखण्ड के ठंडे इलाकों में इसकी व्यावसायिक खेती सफल होने की सम्भावनायें जगा दी है।
उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल ने इन सम्भावनाओं को तलाशने की दृष्टि से पहली बार दिसम्बर, 2015 में राजभवन में ‘ट्यूलिप’ उगाने का प्रायौगिक प्रयास शुरू किया था। इसके बल्ब्स राष्ट्रपति भवन के सौजन्य से प्राप्त हुए थे। जिसमें अच्छे फूल आए थे। 2016 में भी यह प्रयोग दोहराया गया। प्रयोग को प्रतिवर्ष सफल होते देख राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में इस ‘एक्जाॅटिक फ्लावर’ की खेती को ‘फ्लोरीकल्चर’ का हिस्सा बनाने के लिए गंभीरता से कार्य किया जा सकता है।
ट्यूलिप की व्यावसायिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यान विभाग को विशेष प्रयास भी करने होंगे। घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार बरकरार ट्यूलिप की मांग को देखते हुए उत्तराखण्ड में इसकी व्यावसायिक खेती लाभदायक सिद्ध हो सकती है। राजभवन में इस वर्ष वसन्तोत्सव 2017 की पुष्प प्रदर्शनी में पुष्प उत्पादकों और पुष्प प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र होंगे राजभवन में खिलने वाले ‘लेट वैराइटी’ के ट्यूलिप्स।