किडनी गैंग की धर-पकड़ को टीमें गठित, दो आईपीएस करेंगे नेतृत्व

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    देहरादून के लालतप्पड़ में पकड़े गए किडनी गिरोह को लेकर दून पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिए हैं। पुलिस ने मुख्य आरोपी डा. अमित कुमार, डा. अक्षय कुमार, संचालक राजीव चौधरी की जानकारी जुटाकर गिरफ्तारी के लिए 2 आईपीएस के नेतृत्व में टीमें गठित की गई है। पुलिस का दावा है कि जो गिरोह लालतप्पड़ में चल रहा था वो ही महाराष्ट्र, गुजरात, गुडग़ांव समेत देश के कई इलाकों में चलाया जा चुका है।

    आपको बता दें कि आम लोगों की किडनी निकालकर उनका सौदा करने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के गिरोह का उत्तराखंड पुलिस ने सोमवार को भंडाफोड़ किया था। यह अवैध कारोबार उत्तरांचल डेंटल कॉलेज लालतप्पड़ डोईवाला के परिसर में स्थित गंगोत्री चैरिटेबल हास्पिटल में चल रहा था। सोमवार सुबह सप्तऋषि पुलिस चौकी पर चेकिंग के दौरान पुलिस ने इनोवा गाड़ी में किडनी बेचकर लौट रहे लोगों को पकड़ लिया। गाड़ी में सवार दो पुरुष, दो महिलाओं में 2 किडनी बेच कर आ रहे थे। गिरोह के एक सदस्य जावेद खान को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।
    एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि अब तक पुलिस को जांच में यह जानकारी हाथ लगी है कि यह गिरोह देश के कई राज्यों में धंधा चला चुके हैं।
    एसएसपी ने बताया कि गिरोह ने महाराष्ट्र से अपने धंधे की शुरूआत की जिसको डा. अमित कुमार, डा. अक्षय कुमार चलाते थे। अक्षय अमित कुमार का बेटा है। यानि बाप बेटा ही इस धंधे को चलाते हैं। महाराष्ट्र के अलावा ये गिरोह गुजरात और गुडग़ांव में भी किडनी का गिरोह चला चुके हैं। पुलिस का दावा है कि 2013 में जो गिरोह गुडगांव में पकड़ा गया था उसमें भी यही गिरोह सक्रिय था।
    एसएसपी ने ये भी बताया कि लालतप्पड में चलाए जा रहे कारोबार का लाइजनर राजेश चौधरी है जो हरियाणा का रहने वाला है। मामले में पुलिस ने डा. अमित राउत, डा. अक्षय कुमार, राजीव चौधरी समेत 9 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। फिलहाल पूरे प्रकरण की जड़ तक जाने के लिए महकमें ने दो टीमों का गठन किया हैै। टीमों का नेतृत्व दो आईपीएस करेंगे।
    अंगदान प्रत्यारोपण के लिए मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 बना हुआ है। वर्ष 2014 में इस अधिनियम में संशोधन के जरिए नई अधिसूचना जारी की गई। इस कानून के तहत अंगों की खरीद फरोख्त करना गैरकानूनी धंधा है। इस नियम की अवहेलना व अंगों की खरीद फरोख्त करने पर तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा और 30 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।