डोईवाला पर पंजीकृत मु.अ.सं. 256/17 धारा 420/120B/370/342 व आईपीसी 18/19/20 मानव अंगो का प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 में वांछित अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी द्वारा पुलिस अधीक्षक ग्रामीण महोदया व सहायक पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी सदर महोदय देहरादून के पर्यवेक्षण में थाना डोईवाला में टीम गठित की गई थी।
पुलिस टीम ने , अरूण कुमार पाण्डे व डॉ. अशोक योगी को गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तों के नाम विवेचना के दौरान प्रकाश में आये थे। दौराने पूछताछ अभियुक्त अरूण कुमार पाण्डे द्वारा बताया गया कि, “मैं उत्तरांचल डेन्टल कॉलेज का डायरेक्टर हूँ तथा मेरे पिताजी उपरोक्त कॉलेज के एमडी है। हमारे इस कालेज को 2006 में एप्रूबल मिला था। हमारे पास डीओआई की परमिशन है, वर्ष 2012 तक इसमें अस्पताल को हम खुद चला रहे थे और उसके बाद हॉस्पिटल को लीज कर ग्लोबल हैल्थ को दे दिया था। उस समय इस हॉस्पिटल में डॉ0 अशोक योगी बैठते थे। हमारी चेयरमैन दयाशंकर से दोस्ती थी तथा वर्ष 2016 में अशोक योगी के माध्यम से ही राजीव चौधरी मेरे पास आया और चेयरमेन दयाशंकर पाण्डे के साथ मेरी राजीव चौधरी की व अशोक योगी की मीटिंग हुई तथा बात तय होने पर कॉलेज को हमारे द्वारा लीज पर दिया गया। सौदा 5 लाख रूपये प्रतिवर्ष में तय हुआ। उसके बाद जनवरी 2017 से हॉस्पिटल गंगोत्री चेरिटेबिल का कार्य शुरू हो गया और वहां पर इनके द्वारा एक्स-रे इत्यादि मशीनें लगाकर काम शुरू कर दिया गया, साथ ही हॉस्पिटल के निर्माण का कार्य चलता रहा तथा समय – समय पर वहां अशोक योगी तथा डॉ. अमित कुमार आपस में मिलकर सलाह – मशवरा करते रहते थे।”
उनके हॉस्पिटल में जब बडी-बडी गाडियां व विदेशी मरीजों का आना-जाना शुरू हुआ तो कुछ शक हुआ व डॉ. अमित कुमार से बात कर किडनी ऑपरेशन ट्रान्सप्लान्ट करने से मना किया तो लालच दिया गया और प्रतिमाह 5 लाख रूपये देता था। अभियुक्त उपरोक्त से फर्जी इकरारनामा भी बरामद हुआ है, अशोक योगी के पास डॉक्टरी से सम्बन्धित कोई डिग्री नही है। वर्ष 2016 में राजीव चौधरी नाम के व्यक्ति से मुलाकात हुई और उसने कहा कि मुझे व मेरे दोस्त को हॉस्पिटल चलाना है तथा उत्तरांचल डेन्टल कॉलेज में हमारी बात करा दो।
जनवरी व फरवरी 2017 के बीच मुझे पता चला कि डॉ. अमित कुमार अपने साथ अन्य डॉक्टरों को लाकर यहां किडनी निकालने का काम करता है तो मेरे द्वारा डॉ.अमित को किडनी निकालने से मना किया गया तो उसने मुझे भी लाखों रूपये देकर चुप करा दिया। मैं डॉ. अमित की मदद करता था इसलिए वह भी मेरे साथ बहुत खुश था तथा हम दोनों के अच्छे सम्बन्ध थे व कई बार उसके अस्पताल में जाने की बात भी बतायी। वहां पर किडनी निकालने का काम चलता था, वहां उसकी सारी टीम रहती थी तथा अस्पताल में कुछ गिने – चुने लोगों को ही प्रवेश दिया जाता था।
अभियुक्तगणों को आज न्यायालय के समक्ष पेश किया जा रहा है।