वर्ष 2017 अब विदाई की ओर है। लोग नए साल के स्वागत की प्रतीक्षा में हैं। गुजरा साल अब इतिहास बन जाएगा। मगर ऊधमसिंह नगर जिले के ये साल हमेशा यादगार रहेगा, क्योकि यहां एक नहीं बल्कि कई बड़े घोटालों का खुलासा, जांच और बडी कार्यवाही भी इसी जिले में अमल में लायी गयी। हालांकि जीरो टारलेंस का दावा करने वाली सरकार भी इसी साल अस्तित्व में आयी, जिसने इन मामलों की जांच तो कराई।
साल 2017 जनपद उधमसिंहनगर में घोटालों के लिए यादगार बन गया है, और एसी यादगार जिसने प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी घोटालों के रुप में बदनामी अपना नाम रोशन किया, कई घोटाले उजागर हुए तो कई घोटालों में जांच भी हुई, सिर्फ एनएच 74 में हुए करोड़ों के घोटाले में दो पीसीएस अफसरों समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि टीडीसी घोटाले में सिर्फ एफआईआर हुई है, लेकिन आरोपी अभी बाहर हैं। इसी तरह खाद्यान्न घोटाले में जांच हुई, मगर घोटाला सामने आने के बावजूद आज तक एफआईआर नहीं हुई। साल खत्म होता उससे पहले सिडकुल घोटाला भी सामने आ गया है। इस मामले में भी जांच के आदेश भर ही हुए हैं। वहीं इन घोटालों पर प्रदेश की भाजपा सरकार जहां अपनी उपलब्धि के रुप में बयां कर रही है तो कांग्रेस अब घोटाले की जांच में ही खामियां तलाश कर राजनैतिक रोटियां सेक रही है, भाजपा जीरो टालरेंस का नारा देकर जहां अपना कार्यकाल निभा रही है तो कांग्रेस भी इन घोटालों की जांच में पारदर्शीता ना होने की बात कह कर सरकार को घेरने की पुरी कोशिश कर रही है। विपक्ष चीखता रहा कि बड़ी मछलियों को बचाया जा रहा है, मगर उनकी आवाज को दबा दिया गया।एसआईटी ने अब तक की विवेचना में दो पीसीएस अफसरों समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी जेल में हैं। हालांकि इतने बड़े घोटाले में दर्जनों की संख्या में अधिकारी, कर्मचारी, किसान व बिचौलिए शामिल थे, लेकिन महीनों से चल रही पुलिस की कार्रवाई को नाकाफी कहा जा सकता है। घोटालों की इसी कड़ी में टीडीसी के घोटाले का राजफाश हुआ। करीब 16 करोड़ के इस घोटाले में टीडीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक समेत नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इसकी जांच के लिए भी एसआईटी को सौंपी गई है। इस साल में सैकड़ों करोड़ का खाद्यान्न घोटाला प्रकाश में आया। इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन हुआ। एसआईटी ने जांच रिपोर्ट सरकार को दे दी। साल के अंतिम महीने में सिडकुल घोटाला भी सामने आ गया। इसमें मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यह भी कहा है कि यदि जरूरत पड़ी तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। फिलहाल करोड़ों के इस घोटाले की जांच भी शुरू नहीं हो सकी है।
साल 2017 घोटालों का जिला बनकर रह गया उधमसिंहनगर, आधा दर्जन घोटालों को जन्म देने वाले इस जिले में घोटाले भी उजागर हुए और की घटालों में जांच भी हुई कुछ में कार्यवाही हुई तो कुछ में आज भी कार्यवाही लम्बित है, फिलहाल घोटालेबाजों का जो भी हो मगर सत्तापक्ष और विपक्ष को जरुर एक दुसरे की टांग खींचने का मौका दे दिया, वहीं 2018 में देखना होगा कि
आखिर जीरो टालरेंस की सरकार में घोटाले कितने प्रभावी रुप से खुलते हैं और क्या घोटाले में संलिप्त बडे नामों को दबा दिया जाता है या फिर उजागर होते हैं।