लावारिस 5450 अस्थियों को मिला मां गंगा का आसरा

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    श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेन्द्र ने कहा कि अस्थि कलश विसर्जन यात्रा का उद्देश्य युवा पीढ़ी में संस्कारों के अभाव को दूर करने के साथ सामाजिक कार्यों की प्रेरणा देना है। समाजिक और धार्मिक मान्यताओं को पूरा करने के लिए उनके पास समय नहीं है। युवा पीढ़ी की इस उदासीनता के कारण ही उनके पूर्वजों की अस्थियां लावारिस अवस्था में वर्षों से श्मशान घाटों में पड़ी थी। ऐसे में उन्होंने युवा पीढ़ी में भारतीय संस्कारों के प्रति जागृति पैदा करने और लावारिस अस्थियों को मोक्ष दिलाने के लिए अभियान की शुरुआत की।

    आज उन्हें इस बात की खुशी है आज वे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। इसका प्रमाण यह है कि लगातार लावारिस अस्थियों की संख्या में कमी आ रही है। वहीं यात्रा में सहयोग करने वाले लोगों की संख्या में दिनों दिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। श्री देवोत्थान सेवा समिति के तत्वाधान में पितृ पक्ष की सबसे बड़ी व एतिहासिक 16वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा में बैंडबाजों के साथ 5450 लावारिस हुतात्माओं की अस्थि कलशों को पूर्ण वैदिक विधान से मां गंगा की गोद में प्रवाहित किया गया।

    इस मौके पर अनिल नरेन्द्र ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में समाजिक मान्यताएं काफी पिछे छूट गई हैं। युवा पीढ़ी के पास भारतीय परंपराओं को निभाने के लिए समय का अभाव है। इसीलिए संपन्न परिवारों के भी पितरों की अस्थियों श्मसान घाटों पर लावारिस पड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि देवोत्थान सेवा समिति का उद्देश्य मात्र लावारिस अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना नहीं है अपितु युवा पीढ़ी में सनातन संस्कृति का प्रचार करना भी है।

    इसके पूर्व अस्थि कलश विसर्जन यात्रा का शुभारंभ निष्काम सेवा ट्रस्ट, अग्रवाल सेवा सदन, भूपतवाला से वैदिक मंत्रों के साथ किया गया। यात्रा भूपतवाला, भीमगौड़ा, हरकी पैड़ी, अपर रोड, शिवमुर्ति चैक, बंगाली मौड़, चैक बाजार कनखल होते हुए सतीघाट पहुंची। जहां पंडित जितेन्द्र शास्त्री ने पूर्ण विधि विधान से लावारिस अस्थियों को मां गंगा में विसर्जित कराया। इस मौके पर आयोजित श्ऱद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कालिका पीठाधीश्वर महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत ने कहा कि राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों को उद्धार के लिए कठोर तप किया था। लेकिन देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेन्द्र लावारिस हुतात्माओं की मोक्ष प्राप्ति के लिए लगातार 16 वर्षो से प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि देवोत्थान सेवा समिति की ओर से पिछले 15 वर्षो के दौरान 116063 अस्थियों को मां गंगा में विसर्जित किया जा चुका है।