विवि को किसानों के लिए मॉडल के रूप में पेश करेः राधामोहन

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पंतनगर/देहरादून। पंतनगर विश्वविद्यालय को एक आर्थिक रूप से लाभकारी संस्था के रूप में विकसित कर किसानों के समक्ष एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करें। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने पंतनगर विवि में आयोजित बैठक में कहा कि विवि के पास सैकड़ों एकड़ भूमि है, उसका सदुपयोग किया जाए।
मंगलवार को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह एवं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने आज प्रशासनिक भवन स्थित कुलपति के सभागार में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेषक, वैज्ञानिक व अधिकारियों के साथ बैठक की। विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. एके मिश्रा ने बैठक में तीनों मंत्रियों एवं उपस्थित अधिकारियों का स्वागत किया। इस मौके पर राधा मोहन सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के पास हजारों एकड़ जमीन उपलब्ध है, जिससे इसकी आय में कई गुना वृद्धि की जा सकती है। इसे दिखाकर किसानों को अपनी छोटी जोतों से आय को दोगुना करने के लिए आश्वस्त किया जा सकता है तभी वे कृषि की ओर आकर्षित हो पाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय में समन्वित खेती के भिन्न-भिन्न मॉडल विकसित कर उनके खर्च व आमदनी को दर्शाते हुए किसानों को दिखाए जाने की आवश्यकता बताई। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने विश्वविद्यालय के सभी कार्मिकों को विश्वविद्यालय के कार्य को सरकारी कार्य की भावना से न कर पारिवारिक भावना से कार्य करने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने चार वैज्ञानिकों के समूह द्वारा चार गांवों को गोद लिए जाने का भी सुझाव दिया ताकि उत्तराखण्ड की न्याय पंचायतों के अधिकतर गांवों को वैज्ञानिकों द्वारा गोद लिया जा सके। राधा मोहन सिंह ने वर्ष 2018 को मोटे अनाजों के वर्ष के रूप में मनाये जाने के बारे में भी बताया तथा विश्वविद्यालय द्वारा भी इस ओर कार्य किये जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि देश बदल रहा है तथा इस बदलाव के पीछे अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अतः कृषि में बदलाव भी कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों व कृषि से संबंधित सभी अधिकारियों द्वारा ही लाया जायेगा। उन्होंने आशा प्रकट की कि पंतनगर विश्वविद्यालय संतुलित उर्वरक व समन्वित खेती के तरीकों से दूसरी हरित क्रांति के जनक के रूप में उभरेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बैठक में कहा कि उनकी सबसे बड़ी चिन्ता पहाड़ों के तेजी से खेती विहीन होने की है। उन्होंने कहा कि इसके मुख्य कारण पानी का अभाव, बिखरी खेती एवं वन्य जीवों का गांवों तक पहुंचना है। वैज्ञानिकों को इन सब कारणों के समाधान हेतु शोध किये जाने की आवश्यकता है साथ ही खेती को लाभप्रद बनाने की तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने की आवश्यकता है, ताकि खेतों को आबाद किया जा सके, पशुओं को चारा मिल सके तथा वन्य जीवों को गांवों से दूर भोजन उपलब्ध हो सके। उन्होंने उत्तराखण्ड की 670 न्याय पंचायतों में वृद्धि केन्द्र (ग्रोथ सेंटर) विकसित किए जाने की योजना के बारे में भी बताया। बैठक के अन्त में कुलपति प्रो. मिश्रा ने केन्द्रीय कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री एवं प्रदेश के कृषि मंत्री तथा बैठक में उपस्थित सभी वैज्ञानिक एवं अधिकारियों का धन्यवाद किया।
इससे पूर्व प्रातः 10.30 बजे केन्द्रीय कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री एवं उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने पंतनगर विश्वविद्यालय के उद्यान अनुसांधान केन्द्र एवं प्रजनक बीज उत्पादन केन्द्र का भ्रमण किया और वहां चल रहे विभिन्न प्रयोगों व विभिन्न फसलों की उन्नत प्रजातियों के बीजों के उत्पादन संबंधी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने यहां चल रहे कार्यों की सराहना की।