यूपीसीएल समेत तीनों निगमों में नई भर्ती पर रोक

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देहरादून। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) समेत तीनों निगमों में नई भर्ती पर रोक है और यूपीसीएल रिक्त अधिकांश पद फील्ड कार्मिकों के हैं, लेकिन फिर भी यूपीसीएल प्रबंधन मुख्यालय में एक और आलीशान बिल्डिंग बना रहा है। इस पर करीब एक करोड़ से भी ज्यादा का खर्च आएगा। घूम-फिरकर यह पैसा भी उपभोक्ताओं से वसूला जाना है क्योंकि प्रबंधन वार्षिक राजस्व रिपोर्ट में इस खर्च को शामिल करेगा, जिसके हिसाब से ही बिजली की दरों में वृद्धि होती है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर ये बिल्डिंग किसके लिए और क्यों बनाई जा रही है। इसके अलावा भी पिछले छह महीने में बड़े पैमाने पर फिजूलखर्ची हुई है और शायद ही उपभोक्ताओं के हित में कोई काम हुआ हो।

वहीं, यूपीसीएल का पक्ष रखते हुए मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह का कहना है कि कक्षों की कमी महसूस की गई तो मुख्य भवन के ऊपर एक बिल्डिंग बनाई जा रही है। अब कितने कक्षों की कमी है या कितने कर्मचारियों को कक्षों से बाहर बैठकर काम करना पड़ रहा है, इसका जवाब किसी के पास नहीं और हकीकत में ऐसा है भी नहीं। खैर, सवाल उठने इसलिए भी लाजिमी हैं, क्योंकि उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाएं और सेवाएं दोयम दर्जे की हैं। बिल संग्रह केंद्रों की कमी और केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव की वजह से ऊर्जा निगम पर वर्ष 2005 से रोजाना ढाई हजार रुपये का जुर्माना लग रहा है। यह रकम एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। सूबे में कुल 160 बिल संग्रह केंद्र हैं, जबकि उपभोक्ता हैं 20 लाख। निगम ने केंद्रों पर शेड, पेयजल, पंखे-कूलर, टॉयलेट, बैठने आदि का समुचित प्रबंध करने के लिए 11 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तो बनाई है लेकिन अभी शायद ही कहीं कोई सुविधा दी गई हो। इसके अलावा कनेक्शन लेने से लेकर तमाम सेवाओं और शिकायतों के निस्तारण के लिए उपभोक्ताओं को कितनी फजीहत झेलनी पड़ती हैं, ये बात भी किसी से छिपी नहीं है।