प्रदेश में कांग्रेस की वापसी की राह नहीं है आसान: प्रीतम सिंह

0
1010

उत्तराखंड के नये प्रदेश अध्यक्ष और 4 बार  विधायक रह चुके प्रीतम सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं। प्रीतम सिंह के लिए भले ही यह एक सौभाग्य की बात हो लेकिन यह एक कांटों का ताज है ये मानना है पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का। यह बात प्रीतम सिंह भी अच्छी तरह जानते है। प्रीतम मानते हैं कि “मेरी पहल रहेगी कि मैं उत्तराखंड के पीसीसी चीफ के तौर पर अच्छा काम करुं और निश्चित रुप से चाहूंगा कि प्रदेश में कांग्रेस को एक बार फिर जीवित कर सकूं इसके लिए वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर काम करुंगा” 

न्यूज़पोस्ट टीम ने प्रीतम सिंह से मुलाकात की और जानने की कोशिश की अपना जनाधार को चुकी कांग्रेस के लिये उनकी क्या प्राथमिकताऐं रहेंगी?

सवालः प्रदेश मे कांग्रेस के भविष्य के बारे में आप क्या सोचते है?

जवाबः 2017 चुनावों में उत्तराखंड राज्य में निश्चित ही हारे हैं लेकिन कांग्रेस प्रदेश में समाप्त नहीं हुई है। सभी गांवो, ग्राम सभा में अभी भी कांग्रेस का बोल-बाला है और यह जरुरी है कि इसको संजोया जाए और इस को संजोने की पहल मैं करुंगा।

सवालः कांग्रेस में सरकार और संघठन और उसके बाद शीर्ष नेताओं में मतभेद किसी से छिपे नहीं है, तो अब आगे आने वाले समय में कांग्रेस के हित के लिए आप क्या कदम उठाऐंगे??

जवाबः देखिए कांग्रेस एक बहुत बड़ा परिवार है जिसमें हर एक आदमी के विचार कभी ना कभी अलग हो सकते हैं जिससे यह समझा जाता है कि कांग्रेस में आपसी समन्वय नहीं है, मैं समझता हूं कि आज कि जो परिस्थिति थी उसमें हमारे वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि उत्तराखंड में कांग्रेस एक बार फिर वापस आए जिसके लिए एक बार फिर हम सब एक साथ चलने के लिए तैयार हैं।

सवालःक्या इस बदलाव से यह माना जाए कि कांग्रेस में लीङरशिप का बदलाव है या यह कि पुराने लोगों को बदलकर नए लोग लाए गए है??

जवाबः ऐसा नहीं है कांग्रेस में इस तरह की कोई बात नहीं है, कोई नौजवान है तो कई अनुभवशाली नेता भी है, हमारे साथ युवा लीडरशिप को भी आगे आने का मौका राहुल जी ने दिया है तो सिनियर कांग्रेस नेता भी पार्टी को मजबूत करेंगे। ऐसा कुछ नहीं है कि केवल युवा लिडरशीप आगे चलेगा। समन्वय के साथ कांग्रेस आगे बढ़ेगी दोनो साथ-साथ चलेंगे और पार्टी को एक बार फिर वापस लाऐंगे।

पार्टी की कमान प्रीतम सिंह को देकर आलाकमान ने पार्टी में बैलैंस बनाने की कोशिश की है क्योंकि प्रीतम न सिर्फ साफ छवि के नेता हैं बल्कि पार्टी में मौजूद सभी धड़ो को मंजूर भी हैं। अब देखना ये होगा कि पार्टी आलाकमान का ये कदम राज्य में धाराशाई हो चुके पार्टी के संगठन को खड़ा करने में कितना कारगर साबित होता है।