शनिवार को उत्तराखंड के नौवे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शपथ ले ली। ऱाज्यपाल के.के पाल ने पीएम मोदी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में मुख्यमंत्री के साथ साथ मंत्रीमंडल के सदस्यों को शपथ दिलाई। चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देस को कांग्रेस मुक्त करने के अपे वादे की तरफ तो एक और कदम बढ़ा लिया लेकिन मंत्रीमंडल को अगर देखें तो ये कांग्रेस युक्त कहा जा सकता है। शनिवार को जिन मंत्रियों ने शपथ ली उनमें
- नरेंद्रनगर से सुबोध उनियाल
- कोटद्वार से हरक सिंह रावत
- नैनीताल से यशपाल आर्या
- चौबट्टाखाल से सतपाल माहराज रहे
इसके अलावा लगातार दलबदलती और निर्दलीय रही रेका आर्या ने बी मंत्रीपद की शपथ ली। इसको देखकर ये साफ है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के आधे मंत्री पुराने कांग्रेसी नेता हैं। 2017 चुनाव शुरु से कांग्रेसी बागियों को लेकर उठा पटक से भरा हुआ था। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल सभी बागियों को टिकटमिलने से जहां पार्टी नेताओं में नाराजगी थी वहीं चुनाव में इस चाल के उलटा पड़ने का डर। हांलाकि चुनावी नतीजों ने इन सब बातों को दरकिनार कर दिया और ये नेता अपनी अपनी सीटों पर जीत का परचम लहरा कर आये। पार्इटी को मिली इपार सफलता के बाद इस बात की सूगबुगाहटें भी तेज़ हो गई थी कि क्या अब पार्टी में इन बागियों की कोई महत्वपूर्ण भूमिका रह गई है? लेकिन मंत्रीमंडल की तस्वीर ने ये साफ कर दिया है कि न केवल पार्टी में बल्कि प्रधानमनंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिये इन नेताओं का रोल अहम है। इस कदम से ये साफ है कि ये नेता अमित शाह की बीजेपी को एक नई बीजेपी बनाने के रोडमैप में मील ता पत्थर हैं। और शायद अब ये राज्य में बीजेपी के पुराने और उम्र दराज़ नेताओं के लिये रिटायर्मेंट का संकेत है।