एक्सक्लूसीव: सीबीएसई के पैमाने पर ‘देवभूमि’ फेल

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    सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने राज्य सरकार द्वारा आवंटित की गई जमीन को मानकों पर फेल करार दे दिया है। दिल्ली से जमीन का निरीक्षण करने आई विशेष कमेटी ने जमीन को अयोग्य बताते हुए किसी अन्य स्थान पर जमीन आवंटित किए जाने की जरूरत बताई है। अब नए सिरे से सरकार से दूसरी जगह पर जमीन आवंटित कराने के प्रयास किए जाएंगे।

    सीबीएसई ने देहरादून में साल 2013 में क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की। उस समय कार्यालय को उत्तरप्रदेश के 22 जिलों के साथ उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के स्कूलों का जिम्मा सौंपा गया। हालांकि बाद में यूपी के कुछ स्कूलों का रीजन बदलने से यहां 15 जिलों के स्कूलों को ही जोड़ा गया। स्थापना के समय से ही सीबीएसई अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार से स्थाई भवन के लिए जमीन आवंटित करने की मांग की जा रही है।
    खास बात यह कि सीबीएसई संबंधित जमीन की कीमत भी देने को तैयार है लेकिन इसके बाद भी मामला सालों तक लटका रहा। अब भारी मशक्कत के बाद साल की शुरुआत में जमीन चिन्हित कर आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इसके तहत बोर्ड को क्षेत्रीय कार्यालय स्थापना के लिए सहस्त्रधारा रोड पर डेढ़ एकड़ भूमि प्रदान की गई।
    भूमि आवंटन के बाद बोर्ड का रीजनल कार्यालय दून में बने रहने का रास्ता साफ हो गया था लेकिन अब दिल्ली मुख्यालय से जमीन का मुआयना करने आए विशेष दल ने जमीन को बेकार करार दिया है। बोर्ड अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक निरीक्षण दल ने सरकार द्वारा आवंटित जमीन को कार्यालय स्थापना क लिए मुफीद नहीं पाया है। जिसके चलते उन्होंने सरकार से किसी दूसरे स्थान पर जमीन आवंटित किए जाने की बात कही है।

    राज्य के स्कूलों को हो सकता है नुकसान
    बोर्ड के मापदंडों पर सरकार की जमीन खरी नहीं उतरने के कारण अब एक बार फिर बोर्ड अधिकारियों को जमीन के लिए नए सिरे से प्रयास करने होंगे। वहीं, उत्तरप्रदेश राज्य के मेरठ की ओर से पहले ही बोर्ड को जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव दिया जा चुका है। ऐसे में यदि उत्तराखंड में बोर्ड को जल्द भूमि का आवंटन नहीं हुआ तो बोर्ड का रीजनल कार्यलय उत्तरप्रदेश में भी स्थानांतरित किए जाने की संभावनाएं प्रबल हैं।
    मामले में बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि सीबीएसई देहरादून रीजन उत्तरप्रदेश के 15 जिलों सहित उत्तराखंड के सभी स्कूलों का जिम्मा संभालता है। प्रदेश में क्षेत्रीय कार्यालय होने का सीधा फायदा प्रदेश के स्कूलों और पहाड़ के बच्चों को है। अगर बोर्ड उत्तर प्रदेश में स्थानांतरित हो जाता है तो राज्य के बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होगी लेकिन इसके बाद भी सरकार न युवाओं के भविष्य की सोच रही है और न ही परेशानियों की।
    सीबीएसई देहरादून के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह का कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने जो जमीन सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय के लिए आवंटित की है, उसे बोर्ड की निरीक्षण कमेटी द्वारा अयोग्य करार दिया गया है। इस कारण अब वहां स्थाई भवन बनाना संभव नहीं होगा। हमारी ओर से राज्य सरकार से दोबारा कोई बेहतर जमीन प्रदान किए जाने का अनुरोध किया जाएगा। इसे लेकर शिक्षा मंत्री को भी जल्द सकारात्मक कदम उठाए जाने का अनुरोध किया गया है। बोर्ड को जो भी जमीन प्रदान की जाएगी, उसके लिए बोर्ड उस जमीन का पैसा देगा।