उत्तराखंड के जंगल क्यों हैं खत्म होने की कगार पर

0
762

उत्तराखंड में जंगल भले ही सरकार की प्राथमिकता वाला क्षेत्र न बन पाए हों, लेकिन यहां की आर्थिकी संवारने में ये अहम भूमिका निभा रहे हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने के साथ ही जंगल पारिस्थितिकी को महफूज रखे हुए हैं। वनों से साल का लगभग 350 करोड़ का राजस्व सरकार के खाते में जा रहा तो 107 बिलियन रुपये से अधिक की पर्यावरणीय सेवाएं भी मिल रही। इसके बावजूद वन हाशिये पर हैं तो विशेषज्ञों का चिंतित होना लाजिमी है। उनका कहना है कि वन और जन के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित कर वनों को पनपाने के लिए सरकार को ठोस और गंभीर पहल करनी होगी।

जंगल एक ऐसा विषय है, जो पारिस्थितिकी के साथ ही जीवन के आधार से जुड़ा है। यानी वन हैं तो हवा, पानी, मिट्टी सबकुछ ठीक है, अन्यथा बिना वन के सब सून। 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इस हिमालयी राज्य में भी वन और जन के बीच गहरा अपनापन रहा है।

ये अलग बात है कि वन कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद वनों से पूरी होने वाली जरूरतों पर अंकुश लगा तो इस रिश्ते में खटास आई है। बावजूद इसके, यहां जंगल बचे हुए हैं और राज्य की आर्थिकी संवारने में अहम योगदान देते आ रहे हैं।

वन विभाग और वन विकास निगम के करीब 10 हजार कार्मिकों की तनख्वाह वनों से ही निकल रही है तो सरकार के खाते में राजस्व के रूप में बड़ी रकम भी जा रही है। यही नहीं, लीसा टिपान, इको टूरिज्म, वनीकरण, वन मार्गों की मरम्मत, राष्ट्रीय पार्कों में पर्यटन, इको टूरिज्म, वानिकी से जुड़े कार्य, चारापत्ती व जलौनी लकड़ी, खनन आदि से भी हजारों की संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।

इतनी अहम भागीदारी के बावजूद वनों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। जानकारों की मानें तो वन कानूनों को विकास में अवरोधक की अवधारणा ने अधिक दिक्कतें खड़ी की हैं, जबकि यह ऐसा विषय नहीं है कि इसका समाधान न हो। जंगल और विकास में बेहतर सामंजस्य हो तो कोई दिक्कत आएगी ही नहीं।

उपयोगी जंगल

  • 230 करोड़ प्रति वर्ष लकड़ी से मिलता है राजस्व
  • 120 करोड़ की आय लीसा टिपान, इको टूरिज्म, खनन आदि से होती है
  • 30 हजार घन मीटर प्रतिवर्ष हक-हकूक देने का है प्रावधान
  • 42460 घन मीटर औसतन प्रतिवर्ष मिलती है जलौनी लकड़ी
  • 116.88 टन प्रति हेक्टेयर कार्बन संचय करते हैं यहां के जंगल
  • 6903 है वन विभाग के कार्मिकों की मौजूदा संख्या
  • 3000 है वन विकास निगम के कार्मिकों की संख्या