उत्तराखण्ड का डबल इंजन अब करेगा काम

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उत्तराखंड के नौंवे मुख्यमंत्री चुने गए त्रिवेंद्र सिंह रावत का संघ प्रचारक से मुख्यमंत्री बनने का सफर शानदार रहा। इस बीच वे दो बार विधानसभा चुनाव जरूर हारे, लेकिन संघठन ने उनकी क्षमताओं पर विशवास बनाए रखा। उन्हें झारखंड का प्रभारी बनाया गया गया तो बीजेपी ने वहां विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी रहे और नतीजा वहां भी अपेक्षानुरूप रहा।
पौड़ी गढ़वाल में जन्मे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने महज 19 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दामन थामा और 21 साल की उम्र में प्रचारक के रूप में सक्रीय हुए थे। करीब 12 साल तक सक्रीय प्रचारक के रूप में काम करने के बाद सन 1993 में उन्हें बीजेपी उत्तराखण्ड क्षेत्र का संघठन महामंत्री बनाया गया। फिर सन 2002 से 2012 तक वे देहरादून जनपद की डोईवाला सीट से विधायक रहे और 2007 2012 तक राज्य के कृषि मंत्री भी रहे। संगठन स्तर पर उनके शानदार प्रदर्शन के चलते ही वे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री के नजदीकी लोगो में शामिल हो गए। 2017 में राज्य के नौवे मुख्यमंत्री के रूप में एक नए सफर की शुरुआत करने चल पड़े हैं।
उत्तराखण्ड की ताज पोषी के बाद डबल इंजन यानी बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना कार्यभार भली भांति संम्भाल लिया है। इस कार्यशैली में दूसरा इंजन त्रिवेंद्र हैं जो इस राज्य को डबल इंजन की पावर देकर उत्तराखण्ड को उचाईयों की ओर ले जाएंगे। इस बार राज्य के लोगो की उम्मीदें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं क्योंकि अब राज्य सरकार केंद्र पर अपना पल्ला नही झाड़ सकती क्योंकि अब केंद्र और राज्य में बीजेपी होने के कारण साथ ही पीएम मोदी के वजह से काम में कोई चूक नही चाहती है राज्य की जनता।
राज्य के नोवे मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे त्रिवेंद्र  के सर पर केंद्र के साथ साथ राज्य का भी दबाव है। लोगो ने भाषण बहुत सुन लिए अब सिर्फ काम चाहिए।अब देखना यह है कि राज्य की नई सरकार का रिपोट कार्ड कैसा रहता है।