जल्द आने वाला है उत्तराखंड ”हेरिटेज एक्ट”

0
552

145 साल पुराना अल्मोड़ा जेल जहां जवाहरलाल नेहरू ने दो बार जेल की सज़ा काटी, ब्रिटिश काल का नैनीताल स्थित राजभवन ये दोनों ही उत्तराखंड की ऐतिहासिक घरोहर के शिलालेख समान हैं। इसके साथ साथ राज्यभर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक औऱ हेरिटेज को दर्शाने वाली तमाम इमारतों और जगहों को एक नई पहचान मिलने वाली है। इसके लिये राज्य सरकार ने उत्तारखंड हेरिटेज ऐक्ट लाने की तैयारी कर ली है।

इस एक्ट के आने से राज्यभर कि उन सभी इमारतों और जगहों को संवारने में मदद मिलेगी जो राज्य के लिहाज से तो महत्वपूर्ण हैं पर अबी तक किसी भी केंद्र सरकार की ऐजेंसी ने उनके जीर्णोंधार पर ध्यान नहीं दिया है।

उत्तारखंड संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट के अनुसार इस ऐक्ट का खांचा तैयार है और राज्य सरकार को भेज दिया गया है।इसके साथ साथ आम लोगों के सुझावों के लिये इसे रोका गया है और इसके बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिये इसे भेजा जायेगा।

ऐंसियंट मोंन्यूमेंट एंड आर्कियोलोजिकल साइटस एंड रिमेंस ऐक्ट के अंतर्गत राज्यभर में करीब 71 इमारतों का रख रखाव राज्य सरकार करती है और 42 इमारतों का रख-रखाव केंद्र सरकार करती है। वहीं ये नया एक्ट अपने नियमों की सीमा क्षेत्र के कारण अलग रहेगा। इस एक्ट के अंतर्गत न सिर्फ इमारतें आयेंगी बल्कि कला के नमूने, सड़के-गलियां, महत्वपूर्ण प्रकृतिक जगहें और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इलाके भी रहेंगे।

मिसाल के तौर पर इस ऐक्ट के तहत पवित्र झरने और तालाब, पारंपरिक रास्ते औऱ पगडंडियां रहेंगे। इन इलाकों के आसपास निर्माण की मनाही रहेगी। ऐसी सभी जगहं को चिह्नहित करने और उनके जीर्णोंधार के लिये प्लॉन बनाने के लिये एक हेरिटेज अथाॅरिटी बनाई जायेगी। इसके चेयरमैन राज्य के मुख्य सचिव होंगे उनके साथ आर्किटेक्ट, इंजिनियर, इतिहासकार, पर्यावरणविद भी इस समिति का हिस्सा होंगे।

जानकारों के मुताबिक उत्तराखंड को लंबे समय से ऐसे विधेयक की जरूरत थी। वहीं देहरादून के हेरिटेज एक्सपर्ट और बीन देयर दून दैट एनजीओ के फाउंडर लोकश ओहरी ने कहा कि उत्तराखंड को अलग राज्य बने 16 साल हो गए है और अगर अब भी यह एक्ट नहीं आएगा तो हमारे हैरिटेज को खत्म होने से कोई नहीं बचा पाएगा।उन्होंने कहा कि हालांकि यह एक्ट काफी पहले से अधूरा है।उन्होंने कहा कि हमारे जैसे एक्टिविस्ट काफी समय से इस एक्ट को लागू करने के लिए उत्तराखंड सरकार से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस एक्ट के आने से जो बचे हुए हेरिटेज साइट है उनकी देखभाल हो जाएगी। ओहरी ने कहा कि सरकार के ऐसे फैसलों का हम जैसे एक्टिविस्ट दिल खोल कर स्वागत करते हैं।बस इससे जुड़े सभी नियम सख्ती से लागू करने चाहिए ताकि असल में हैरिटेज प्रोटेक्शन हो सके। उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे राज्य है जैसे गुजरात,दिल्ली और आंध्र प्रदेश जहां पहले से यह एक्ट लागू किया जा चुका है।ओहरी ने कहा कि इन प्रदेशों में सभी स्थानीय हैरिटेज को सुरक्षित रखने के लिए बेहतरीन काम कर रहे हैं और मैं उम्मीद कर रहा हूं कि पहाड़ी क्षेत्र भी दूसरे राज्यों की तरह काम करेगा।