उत्तराखंड से लगातार हो रहे पलायन को लेकर चिंतन तो बहुत होता है पर जमीनी स्तर पर माहौल उदासीनता का ही है।इस उदासीनता को एक युवा उत्तराखंडी ने चुनौती दी है। योग और साधना के लिए राज्य पूरक माना जाता है।
ऐसे ही पलायन रोकने के लिए एक छोटी पहल की हैं उत्तरकाशी के 32 साल के युवा पियूष बनूनी ने। पियूष उत्तरकाशी के रहने वाले हैं और इन्होंने उत्तरकाशी के अपने पारंपरिक पहाड़ी घर को योग-साधना के साथ ही पर्यटन का केंद्र बना लिया है। पियुष ने पत्थर के स्लेट से बने अपने पुश्तैनी घर को पारंपरिक रुप से सजाया संवारा और पिछले 4 महीने से उसमें होमस्टे शुरु किया है। आपको बता दें कि उत्तरकाशी की खुबसूरती के लोग इस कदर दिवानें हैं लेकिन दूर-दराज से आए लोग यहां कि परंपरा से अछूते रहने और होमस्टे की कमी की वजह से लोग उत्तरकाशी से अपने पैर पीछे खींचते रहे हैं।
उत्तरकाशी जिले के कोटबंगला निवासी पीयूष बनूनी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तरकाशी से ली। उन्होंने मदुरै (तमिलनाडु) स्थित अंतरराष्ट्रीय शिवानंद योग संस्थान से योग का प्रशिक्षण लिया और फिर बहामस में कुछ साल तक योग प्रशिक्षक रहे।योग के अलावा पियूष खाना बनाने में भी मास्टर हैं और वह बहामस में कुकरी यानि की खाना बनाने की कला भी लोगों को सिखाते रहे है। इसके साथ ही पियूष ने यूरोप के फ्रांस, स्विटजरलैंड, जर्मनी व चेक रिपब्लिक में भी विदेशियों के लिए कई योग शिविर आयोजित किए हैं।आपको बतादें कि पिछले 4-5 साल से पियूष उत्तरकाशी के इकलौते युवा है जो विदेशी पर्यटकों को अपने होमस्टे और योग केंद्र तक ला रहे हैं। देश-विदेश में अपनी कला बांटने के बाद पियूष ने अपने गांव का रुख किया औऱ अब उत्तराकशी को योग और साधना का हब बनाना चाहते हैं।अपने पुश्तैनी मकान को होमस्टे के लिए तैयार कर पियूष ने योग-साधना में रुचि रखने वालों को उत्तरकाशी की तरफ मोड़ना शुरु किया है।इसके साथ ही होटल एसोसिएशन ने भी पियूष बनूनी का पूरा सहयोग किया है।राज्य में होने वाले सभी बेहतरी के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआररो) का भी पूरा सहयोग मिलता रह है।
टीम न्यूजपोस्ट से पियूष बनूनी की खास बातचीत में उन्होंने बताया कि ”उत्तरकाशी पहले से बहुत सारी खूबियों से भरा-पूरा है।इसमें कुछ भी करने की जरुरत नहीं है। पियूष ने बताया कि 4 महीने पहले उन्होंने अपने घर को होमस्टे के लिए तैयार किया और अब देश-विदेश के लोग उत्तरकाशी आकर आसपास की खूबसुरती का लुत्फ उठा रहे और साथा ही योग-साधना का आनंद भी ले रहे हैं।” पियूष पिछले 10 साल से योगा सीखा रहे हैं लेकिन अब वह अपने घर को ही योगा का हब बनाना चाहते हैं।उन्होंने बताया कि “लोग उत्तराकाशी में गंगा को देखने तो आते ही है साथ ही उन्हें योगा को खुद प्रेक्टिस करने का मौका मिलता है और बहुत ही अच्छे और ऊचें स्तर के साधक भी उत्तरकाशी पहुंचते हैं।” पियूष बताते हैं कि यहां आने वाले सभी देश और विदेश के लोग यहां से जाते-जाते बहुत ही खुश होते हैं क्योंकि एक तो उन्हें गंगा का उद्गम देखने को मिलता है,दूसरा योग और साधना का मौका मिलता,तीसरा जो लोग ट्रेकिंग और दूसरे रोमांच में रुचि रखते हैं उनके लिए भी उत्तरकाशी बेहतरीन डेस्टिनेशन है और आखिरी होमस्टे में घर जैसा माहौल। पियूष कहते हैं कि “उत्तरकाशी को योगा का हब बनाने का सबसे महत्तवपूर्ण कारण था लोगों के बीच यह संदेश देना की हमारे अपने गांव और घरों में बहुत से मौके हैं। पलायन करके कहीं और जाने से बेहतर है अपने राज्य और अपने गांव में विकल्प ढूंढना। इससे लोगों को घर बैठे रोजगार मिलने लगेगा। आज विदेश से आए पर्यटकों को होटलों के बजाय गांव में स्थानीय लोगों के बीच रहना ही पसंद आ रहा है। होमस्टे के माध्यम से हम लोगों को उनकी पसंद का स्टे दे सकते हैं और घर बैठे रोजगार के मौके भी निकाल सकते हैं।”
उत्तरकाशी डीएम आशीष चौहान ने कहा कि ”हम होमस्टे या किसी भी ऐसी पहल का दिल खोल कर स्वागत करते हैं जिससे राज्य में पलायन रुके।हमने बहुत से लोगों को होमस्टे शुरु करने के लिए रजिस्ट्रेशन कर दिया है और बहुत से लोगों के फार्म अभी भी प्रोसेस में हैं।वहीं उन्होंने कहा कि हम खुद होमस्टे को बढ़ावा दे रहे जिसके लिए हम रैथल नटिन होमस्टे को शुरु कर रहे जिसका उद्घाटन खुद सीएम रावत करने वाले हैं।”
गौरतलब है कि अब पियूष ने होम स्टे के लिए पंजीकरण को पर्यटन विभाग में आवेदन तो किया है लेकिन पंजीकरण कब होगा कोई नहीं जानता।एक तरफ से सरकार होमस्टे को बढ़ावा देने की बात करती हैं तो दूसरी तरफ उत्तरकाशी शहर के आसपास तैयार हो रहे होम स्टे के पंजीकरण को लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।इतना करने के बाद भी आलम यह है कि पंजीकरण अभी भी फाइलों में अटका हुआ है।अगर सच में सरकार पलायन रोकने के लिए प्रयासरत है तो आगे आ रहे युवाओं की मदद और आसानी के लिए सरकार को कुछ प्रावधान निकालने की जरुरत है।
इस बारे में जिला पर्यटन अधिकारी उत्तरकाशी भगवती प्रसाद टम्टा ने बताया कि “हमारे पास होमस्टे में पंजीकरण के लिए काफी लोगो ने पत्र भेजा हैै जिसमें से हमने करीब 19-20 लोगों का रजिस्ट्रेशन कर भी दिया है। बाकी कुछ फार्म अभी प्रक्रिया में हैं जिसपर काम चल रहा है।उन्होंने बताया कि होमस्टे के लिए आने वाले फार्म पहले डीएम ऑफिस जाते हैैं फिर किसी भी प्रकार की कमियों को ठीक करने के बाद रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता है।”
यू तो राज्य के सीएम भी पलायन रोकने के लिए अलग-अलग रास्ते बताते हैं लेकिन क्या असल में सरकार इसको रोकने के लिए चिंतित है यह देखना ज्यादा जरुरी है। पियूष की इस पहल से उनके जैसे बहुत से लोगों को साहस और होमस्टे शुरु करने का जज्बा मिला है लेकिन यह बात तभी आगे बढ़ेगी जब सच में टूरिज्म डिर्पाटमेंट और सरकार पियूष जैसे लोगों का साथ देगी।बात वहीं पर आकर रुकती है एक कदम तो बढ़े मंजिल खुद तय हो जाएगा और अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में उत्तरकाशी में बहुत से लोग अपने घरों को होमस्टे के लिए तैयार कर सकते हैं।