बैंकों का नियमित काम बाहरी स्रोतों से कराए जाने और अन्य समस्याओं पर बैंक कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ गया है। अपनी मांगों को लेकर यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस से जुड़े बैंक कर्मचारी मंगलवार को यहां हड़ताल पर हैं।
हड़ताली कर्मियों ने बताया कि सरकार की जनविरोधी नीतियों, ट्रेड यूनियनों के अधिकार समाप्त करने नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मियों को उचित मुआवजा न दिए जाने आदि के खिलाफ बैंक कर्मचारी मुखर हैं। विभिन्न मांगों और समस्याओं को लेकर हड़ताल की जा रही है।
एसबीआई अधिकारी एसोसिएशन के उपमहासचिव हरिओम रेखी और यूनियंस के संयोजक जगमोहन मेहंदीरत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ट्रेड यूनियन के अधिकारों को कम करने और बैंकों के निजीकरण पर तुली हुई है। ऋण वसूली के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बैंक कर्मचारियों ने बढ़ते एनपीए (नॉन परफॉरमिंग असेट) से निपटने के लिए रिकवरी प्रक्रिया तेज गति में अपनाने की मांग की है। लेकिन बैंक कर्मियों की मांगों को प्रति उदासीनता अपनाई जा रही है। इसके कारण ही देशभर के 10 लाख से अधिक कर्मचारी एक दिवसीय हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसमें बैंकिंग से जुड़ी सात मुख्य यूनियनें शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि बैंक कर्मचारियों की हड़ताल को सीटू की राज्य कमेटी ने समर्थन दिया है। सीटू(सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन) के सचिव लेखराज ने कहा कि केंद्र सरकार बैंक कर्मियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से बैंक कर्मियों की मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की है।