मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था ने देहरादून के अनेक संगठनों एवम बुद्धिजीवियों के साथ रिस्पना पुनर्जीवन में आम जन मानस की भागीदारी पर वृस्त्रित चर्चा की। इस दौरान लोगों ने सरकार की नीति को स्पष्ट करने की मांग की। ताकि उसी अनुरूप कार्या को गति दिया सके।
मैड संस्था ने रिस्पना पुनर्जीवन पर एक बैठक का आयोजन आम जन मानस एवं समाज के हर टपके को अपने इस अभियान से जोड़ने के लिए किया गया। 15 नवंबर को इसी के बारे में मैड की ओर से एक प्रस्तुति मुख्य सचिव उत्पल कुमार के अध्यक्षता में हुई थी जिसमे इको टास्क फोर्स को यह जिम्मेदारी दी गयी थी कि वह रिस्पना पुनर्जीवन का एक खाका तैयार करें।
बैठक में लोकेश ओहरी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, “स्पष्ट होना चाहिए कि इको टास्क फोर्स को क्या अधिकार छेत्र दिया गया है जिसके तहत वह इस प्रोजेक्ट में अपनी भूमिका निभाने वाले हैं।” इस दौरान सिटीजन्स फ़ॉर ग्रीन दून के आशीष गर्ग ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि रिस्पना में किसी भी तरह के सीवर का डाला जाना गलत है और इसपर तत्काल कानूनी प्रतिबंध न सिर्फ लगना चाहिए बल्कि लागू भी किया जाना चाहिए।
प्रमुख संगठन के परमजीत सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि, “रिस्पना पुनर्जीवन पर समाज के सभी वर्गों को साथ काम करना चाहिये। लिटिल फ्लावर स्कूल की रोहिणी मनुचा पूरी ने मलिन बस्ती के ज्वलंत मुद्दे को उठाया और कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि मलिन बस्तियों के संदर्भ में उनकी नीति क्या होगी।”
दून सिटीजन कौंसिल के ब्रिगेडियर के जी बहल ने अपनी राय रखते हुए कहा कि एक ओर जहां मलिन बस्तियों के मूल भूत अधिकारों की अवेहलना नही होनी चाहिए वही दूसरी ओर उनके पुनर्वास की तरफ राज्य सरकार को ठोस नीति नियोजित करनी चाहिए।
कल्पतरु संस्था के प्रभास ने इस बात पे ज़ोर दिया कि पहले हमें उन चीजों पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए जो बिना किसी रुकावट के की जा सके और वी अदित मुद्दों को उसके बाद है देखना चाहिए।
संयुक्त नागरिक संगठन के सुशील कुमार त्यागी ने यह बात कही की इस मुहीम को आगे बढ़ाना चाहिए और इसमें नई जान डालने के लिए और भी लोगों को साथ लेना चाहिए। राजप्यर कम्युनिटी इनिशिएटिव की अध्यक्षा रीनू पॉल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राजौर छेत्र में किसी भी तरह के निर्माण कार्य जो रिस्पना तलहटी पर हो रहे हो उन पर प्रतिबंध लगना चाहिए और आरोपियों पर निगरानी की जानी चाहिए।
नैशनल पेरेंट्स समूह के आरिफ मोहोम्मद ने भी यही कहा कि अतिक्रमण के मुद्दे पर राज्य सरकार को वोट बैंक की राजनीति नहीं खेलनी चाहिये। जगमोहन मेहंदीरत्ता ने यह कहा कि सामाजिक संगठनों की तरफ से मैड को अपने सुझाव समय से दे देने चाहिए ताकि निष्क्रिय पड़े सरकारी तंत्र को आईना दिखाया जा सके।