एम. वेंकैया नायडू होंगे देश के अगले उपराष्ट्रपति

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एम वैंक्या नायडू देश के अगले उप राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने यूपीए के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को हराकर ये पद हासिल कर लिया है।

देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान आज 10 बजे से शुरू हुए।राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार एम वेंकैया नायडू संसद भवन परिसर में पहले से ही उपस्थित थे। नायडू ने शुरुआती दौर में ही मतदान किया। मतगणना शाम सात बजे से शुरू हुई और कुछ ही घंटों में उपराष्ट्रपति का नाम घोषित कर दिया गया।

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के एक छोटे से गांव चवतपालेम के किसान परिवार में जन्मे एम. वेंकैया नायडू ने अपने संघर्ष के बूते धीरे-धीरे छोटे से कस्बे से निकल राष्ट्रीय सियासत की फलक पर चमकने तक का सफर पूरा किया। उपराष्ट्रपति चुनाव में राजग के उम्मीदवार नायडू का सार्वजिनक जीवन काफी लंबा है। उनके पास लगभग 25 वर्ष का संसदीय अनुभव है। वह मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में सूचना प्रसारण व शहरी विकास मंत्री हैं। इतना ही नहीं, उनको मोदी सरकार में संकटमोचक की भूमिका में भी देखा जाता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव में आंकड़ों पर गौर करें तो राजग के पास जीत के लिए पर्याप्त मत हैं। ऐसे में चार बार से राज्यसभा सदस्य रहे नायडू का उच्च सदन का सभापति बनना तय है।
एम. वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले स्थित चवतपालेम में हुआ था। नायडू 2002 व 2004 (दो बार) में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं।
नायडू ने नेल्लोर के वी.आर. हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वी.आर. कालेज से राजनीति तथा राजनयिक अध्ययन में स्नातक किया। वे स्नातक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए| तत्पश्चात उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। वह 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये। कुछ दिनों तक वे आंध्र प्रदेश के छात्र संगठन समिति के संयोजक भी रहे। 70 के दशक में ही वह संघ से जुड़े।
वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक आंदोलनकारी के रूप में रही है। वे 1972 में ‘जय आंध्र आंदोलन’ के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए। उन्होंने इस दौरान नेल्लोर के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए विजयवाड़ा से आंदोलन का नेतृत्व किया। छात्र जीवन में उन्होने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकालीन संघर्ष में हिस्सा लिया। वे आपातकाल के विरोध में सड़कों पर उतर आए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 1973-74 आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे। आपातकाल के बाद वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। नायडू 1978-85 में आंध्र विधानसभा के दो बार सदस्य रहे। वर्ष 1988 से 1993 तक वह आंध्र प्रदेश भाजपा ईकाई के अध्यक्ष रहे। उसके बाद वह 1993 से 2000 तक भाजपा की केंद्रीय संगठन में राष्ट्रीय महासचिव बने। इस अवधि में वह पार्टी की सर्वोच्च संस्था संसदीय बोर्ड के सचिव, राष्ट्रीय प्रवक्ता समेत कई अहम पदों पर दायित्व निर्वहन किया। 1998 कर्नाटक से वह 4 बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं ।