विस अध्यक्ष ने किया गैरसैंण में व्यवस्थाओं का निरीक्षण

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देहरादून। विधानसभा गैरसैंण की तैयारियां जोरों पर हैं। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल इस विधानसभा सत्र के शीतकालीन सत्र की तैयारियों का स्वयं जायजा ले रहे हैं ताकि विधानसभा की तैयारियों में कोई कमी न रह जाए।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द्र अग्रवाल व वित्त व संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने गैरसैंण के भराड़ीसैंण पहुंचकर आगामी सात दिसम्बर से प्रस्तावित विधानसभा सत्र की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने भराड़ीसैंण में अधिकारियों की बैठक लेकर विधानसभा सत्र के दौरान होने वाली सभी व्यवस्थाओं को समय से पूरा करने के निर्देश देते हुए कहा कि सत्र सर्दी के मौसम में आयोजित हो रहा है। इसलिए ठण्ड से बचने के इंतजाम भी पूरे करने होंगे। उन्होंने नवनिर्मित विधानसभा भवन का भी निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के पीछे केवल व्यवस्था सुचारु बनाए रखने की भावना है ताकि विधायकों समेत पत्रकारों, व्यवस्था कर्मियों तथा अन्यों को समस्या न हो। गैरसैंण के भराड़ीसैंण में विधानसभा तो बन गई है लेकिन अब भी वहां व्यवस्थाओं का टोटा है, जिसके कारण लोगों को तमाम असुविधाएं होती हैं। शीतकालीन सत्र होने के कारण व्यवस्थाओं का चाक-चौबंद करने की कवायद जारी है।
आंदोलनकारियों की राजधानी का प्रतीक गैरसैंण उत्तराखंड के लगभग बीचों-बीच चमोली जनपद का एक छोटा शहर तथा नगरपालिका बोर्ड है। यह उत्तराखंड की भविष्य की राजधानी के रूप में देखा जा रहा है, सुविधाएं न होने के कारण राजधानी बनाने में काफी असुविधाएं आ रही हैं। देहरादून 250 किमी की दूरी पर कुमाऊं की दुधाली पहाड़ी के समीप गैरसैंण स्थित है। गैरसैंण गढ़वाल और कुमाऊं दोनों से आसानी से सुलभ है और एक तरह से दोनों क्षेत्रों के बीच में सेतु के रूप में कार्य कर सकता है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान गैरसैंण को राजधानी के रूप में भावनात्मक रूप से तय किया गया था लेकिन व्यवस्था न होने के कारण तात्कालिक रूप से वहां राजधानी बनाना वहां संभव नहीं था।
यही कारण है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी ने 09 नवम्बर 2000 को राज्य के गठन के बाद अस्थाई राजधानी के रूप में देहरादून से कार्यभार प्रारंभ किया। उत्तराखंड सरकार ने स्थाई राजधानी की खोज के लिए दीक्षित आयोग का गठन किया था लेकिन इसकी रिपोर्ट में कमीशन ने कहा था कि अंतरिम राजधानी देहरादून, राष्ट्रीय राजधानी से इसकी दूरी, प्राकृतिक आपदाओं से केंद्रीकृत आबादी और सुरक्षा जैसी कारकों के कारण स्थाई राजधानी के रूप में देहरादून एक अधिक उपयुक्त स्थान है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 09 जून से 12 जून 2014 तक उत्तराखंड विधान सभा का तीन दिवसीय विधानसभा का आयोजन गैरसैंण में किया था। इस व्यवस्था के बाद लोगों की उम्मीदें अधिक बढ़ गई और गैरसैंण को स्थायी राजधानी के विकल्प के रूप में माना जाने लगा।