गूगल में निकाली खामी तो मिले 100 डालर

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    हल्द्वानी, पहाड़ की प्रतिभाएं देश ही नहीं विश्व में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही हैं। विश्व में आइटी क्षेत्र में पहचान बनाने वालों में हल्द्वानी के साइबर एक्सपर्ट विकास सिंह बिष्ट का नाम भी जुड़ गया है। विकास ने गूगल की एक वेबसाइट में खामी ढूंढी है। गूगल की सिक्योरिटी टीम ने गलती स्वीकारते हुए उसमें सुधार किया है।

    साथ ही इस साल गूगल में गलती ढूंढने वाले विश्व के कुल 980 आइटी एक्सपर्ट में 322वीं रैंक में विकास का नाम शामिल किया है। गूगल ने अपने बगहंटर प्रोग्राम के भीतर वलनरेबिलिटी रिवार्ड प्रोग्राम के तहत हाल ऑफ फेम में विकास की प्रोफाइल डालकर प्रोत्साहित भी किया है। इसके साथ ही 100 डालर प्रोत्साहन राशि देने की मेल भी विकास को मिली है। मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के मिर्थी में रहने वाले विकास सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। विकास के पिता चंदन सिंह बिष्ट धारचूला के जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक हैं। विकास ने मेरठ से इंटीग्रेटेड ग्रेजुएशन इन साइबर सिक्योरिटी (आइजीसीएस) कोर्स किया है। वर्तमान में विकास इंडियन साइबर डिफेंस एलाइंस संस्था के चीफ ऑपरेशन ऑपरेटर के तौर पर हल्द्वानी में वेब एप्लीकेशन सिक्योरिटी रिसर्च, एथिकल हैकर और ट्रेनर के रूप में काम कर रहे हैं।

    विकास ने बताया कि उन्होंने 14 नवंबर को गूगल के कैगिल डॉट कॉम नाम की वेबसाइट पर क्रापसाइट स्क्रिप्टिंग की गलती पकड़ी थी। इस गलती को उन्होंने गूगल की सिक्योरिटी साइट पर भेजा। गूगल की सिक्योरिटी टीम (एडवरडो गूगल सिक्योरिटी टीम) ने गलती को सही माना। इसी के आधार पर उन्हें वलनरेबिलिटी रिवार्ड प्रोग्राम के तहत हॉल ऑफ फेम के तीसरे पेज पर 322वीं रैंक प्रदान की। वह इस साल उत्तराखंड के पहले व्यक्ति हैं, जिसने गूगल में गलती ढूंढी है। विकास ने बताया कि गूगल ने उन्हें भविष्य में अपने सिक्योरिटी प्रोग्राम से जुड़ने के लिए आमंत्रित भी किया है।