जल, ऊर्जा व वन विभाग राज्य हित में मिलकर करेंगे कामः सीएम

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देहरादून। राज्य की 33 जल विद्युत परियोजनाओं के संचालन के लिए जन संसधान, ऊर्जा और वन विभाग मिलकर काम करेंगे। दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री स्वतंत्र प्रभार आरके सिंह साथ मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने इन परियाजनाओं को लेकर चर्ता की।

बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह से भेंट की। मुख्यमंत्री ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री से वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड की 33 जल विद्युत परियोजनाओं पर व्यापक चर्चा की गई। इस सम्बंध में ऊर्जा, जल संसाधन एवं वन मंत्रालय तीनों विभागों के मिलकर राज्य हित में सकारात्मक परिणाम देने का केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ने आश्वासन दिया। देहरादून एवं हरिद्वार में अंडर ग्राउण्ड केबल के लिए सीएसआर में फंडिंग देने के लिए भी मुलाकात के दौरान सहमति बनी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लखवाड़-ब्यासी परियोजना, किसाऊ बांध परियोजना, टिहरी हाइड्रो पावर कार्पोरेशन (टीएचडीसी) के लिए भी केन्द्र सरकार का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड में हास्पिटिलिटी यूनिवर्सिटी के लिए भी सहमति बनी तथा इसके लिए उन्होंने हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री को अवगत कराया कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जनपद उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के 100 किमी विस्तारित क्षेत्र गौमुख से उत्तरकाशी तक 4179.59 वर्ग किमी को ईको सेंसेटिव जोन के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया है। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इस क्षेत्र में कुल 82.5 मेगावाट की पूर्व में आवटिंत 25 मेगावाट क्षमता तक की 10 लघु विद्युत परियोजनाओं कार्य शुरू किए जाने की अनुमति प्रदान की जाय जैसा कि पश्चिमी घाट महाराष्ट्र व हिमाचल प्रदेश को दी गई है।
मुख्यमंत्री ने लखवाड़ बहुउदेश्यीय तथा किशाऊ बहुउदेशीय परियोजनाओं पर भी शीघ्र सहमति प्रदान किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों पर 70 में से 33 जल विद्युत परियोजनाएं जिनकी कुल क्षमता 4060 मेगावाट व लागत 41,000 करोड़ रूपये है, एनजीआरबीए, ईको संसेटिव जोन और उच्चतम न्यायालय के निर्देशो क्रम में बन्द पड़ी है। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि यदि एक संयुक्त शपथ पत्र ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तथा पर्यावरण व जल मंत्रालय द्वारा मा.उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए तो उक्त परियोजनाओं के लिए शीघ्र अनुमोदन मिल सकता है। इसी प्रकार चमोली की 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को बताया कि इस परियोजना से सम्बन्धित डीपीआर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन के लिए लम्बित है क्योंकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इन्वार्यमेन्टल फ्लों का अभी अध्ययन नहीं किया गया है। साथ ही बावला नन्द प्रयाग जल विद्युत परियोजना जबकि तथा नन्द प्रयाग लंगासू विद्युत परियोजना हेतु पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय अध्ययन के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेन्स का अनुमोदन किया जाना बाकी है। मुख्यमंत्री ने टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में उत्तराखण्ड के 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रकरण को आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव भी केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को दिया। जिस पर उन्होंने सहमति व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री ने यह भी अनुरोध किया कि देहरादून, हरिद्वार तथा नैनीताल अंडरग्राउन्ड केबलिंग के लिए 1883.16 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रस्ताव ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखा गया है। इसमें हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र हेतु अन्डरग्राउण्ड केबलिंग का कार्य भी सम्मिलित है। एकीकृत ऊर्जा विकास योजना (आईपीडीएस) के अन्तर्गत 190.68 करोड़ रूपये की डीपीआर भी देहरादून तथा हरिद्वार के सरकारी कार्यालयों में सोलर रूफ टॉप सिस्टम लगाने के लिए ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखी गई है। मुख्यमंत्री और केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के मध्य लघु जलविद्युत, ट्रांसमिशन वडिस्ट्रीब्यूसन के लिए ईएपी और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कारपोरेट सोशल रिसपोंसिबिलीटी के अंतर्गत राज्य में प्रस्तावित हास्पिीटीलिटी यूनीवर्सीटी के लिए फंडिंग के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इसके लिए उन्होंने सहयोग का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर सचिव, ऊर्जा श्रीमती राधिका झा उपस्थित थी।
केंद्रीय मंत्री ने की समीक्षा
केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आरके सिंह के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड की ऊर्जा परियोजनाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई पहलों में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता बढाने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों के प्रदर्शन की, उनकी चरित्र पंजिका में प्रविष्टि की जा रही है। एलईडी बल्बों का सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में उपयोग किया जा रहा है, जबकि एलईडी बल्बों का वितरण स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। विद्युत आपूर्ति, उपयोग एवं गुणवत्ता बढाने आदि के संबंध में की गई इन तीन पहलों को केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने सराहा है तथा इसे बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में माना। उन्होंने राज्य के इन प्रयासों को अन्य राज्यों को भी अपनाने को कहा। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में सभी राज्यों को पत्र लिखा जाएगा।