वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (डब्लूआईआई) आने वाले दिनों में उत्तराखंड समेत अन्य राज्योें के वन कर्मियों को नदियों में पाये जाने वाले जीवों के संरक्षम के लिये ट्रेनिंग देगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के नेशनल मिशन फॉर गंगा क्लीनिंग ने डब्लूआईआई को गंगा और उसकी सहायक नदियों में मिलने वाले जल जीवों के संरक्षण के लिये प्लान बनाने का जिम्मा दिया है। इसी के तहत संस्थान उत्तराखंड के साथ साथ उत्तरा प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के वन कर्मियों और अधिकारियों को ट्रैनिंग देगा।
संस्थान के मुताबिक इस ट्रैनिंग में खासतौर पर जल प्रजातियों जैसे कि डोलफिन, घड़ियाल, कछुओं के संरक्षण करने के लिये सही करीके सुखाने पर ज़ोर रहेगा। इसके साथ साथ सभी अधिकारियों को मध्यप्रदेश के चंबल राष्ट्रीय पार्क ले जाया जायेगा। ये पार्क लुप्त होने की कगाप पर पहुंचे चुके जल जीवों के संरक्षण का हब माना जाता है। केंद्र सरकार ने 25 करोड़ के इस प्रॉजेक्ट को पिछले साल डब्लूआईआई को दिया था।
संस्थान के निदेशक वीबी माथुर कहते हैं कि, ”अभी डब्लूआईआई ने जल्द ही एक प्रोजेक्ट बायोडायर्वसिटी कन्जरवेशन एंड गंगा रिजुविनेशन नाम से चलाया है जिसके स्पॉंसर मिनिस्ट्री ऑफ वॉटर रिर्सोसेस,रिवर डेवलेपमेंट और गंगा रिजुविनेशन हैं।” उन्होंने कहा कि, “इस प्रोजेक्ट की मुख्य बात है स्टेकहोल्डरों में क्षमता बढ़ाना,जिसेक अंर्तगत अलग-अलग डिर्पाटमेंट के ऑफिसर जैसे कि फॉरेस्ट,फिशरी,एग्रीकल्चर,ईरिगेशन और रुरल डेवलपमेंट जैसे विभागों को ट्रेनिंग दी जा रही, जिसके माध्यम से एक्वेटिक बायोडायर्वसिटी का संरक्षण स्थानीय समुदायों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ किया जा सके।”
इसके अलावा वीबी माथुर ने कहा कि, “ग्राम पंचायत की मदद से “गंगा प्रहारी या गंगा की सुरक्षा के लिए युवाओं” की पहचान की जा रही है,जिनकी मदद से पानी में रहने वाले जीव विशेषकर डॉल्फिन, कछुओं, मगरमच्छ आदि से जल संरक्षण, उनका बचाव और पुनर्वास में मदद की जा रही है।”