कभी फर्श पर और कभी अर्श पर कुछ ऐसा ही रहा है ऋषिकेश की चन्दना का जीवन ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर गरीबी ,अशिक्षा और दो वक्त की रोटी की तलाश ने उनके जज्बे को कभी डिगने नहीं दिया।जंहा एक बड़ा वर्ग बंगाली बस्ती का अपने जीवन की जदोजहद में पेट भरने के लिए सिर्फ धार्मिक आस्था और दान पुण्य की भीख पर निर्भर रहता है, वही इन गरीब महिलाओं का जीवन रोज़ लड़ाई झगड़ो ,पारिवारिक हिंसा और भीख मांगने में गुजरता था।चन्दना ने इस बस्ती की महिलाओं को जीवन जीने का रास्ता दिखाया है,आज त्रिवेणी घाट पर कई महिलाएं फूलों के व्यवसाय से जुड़ कर अपनी रोज़ी रोटी कमा रही हैं। वेडिंग और बड़े आयोजन में फ्लावर डेकोरेशन का काम रही है लगभग 100 परिवारों की महिलायें चन्दना फ्लावर्स एंड डेकोरेटर्स के साथ जुड़ कर अपने अपने परिवारों को पाल रही है।इसके साथ ही गंगा घाटों पर आवारागर्दी करने वाले इनके बच्चे आज अच्छी शिक्षा वाले पब्लिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं। चन्दना इन सबको अपने मार्गदर्शन में स्कॉलरशिप और पढ़ने में मदद करती हैं। चन्दना का कहना है कि उनके जीवन में बड़े उतार चढ़ाव आये हैं, बंगाल में अच्छे घर में शादी हुई अचानक पति की मौत ने सब कुछ बदल कर रख दिया।
ससुराल ने बच्चे सहित चन्दना को घर से निकाल दिया और चंदना बच्चे को साथ लेकर रोते -बिलखते हुए ऋषिकेश पहुंच गयी।गंगा घाट पर बिना घरबार के पड़ी रहीं ,गंगा में जीवन समाप्त करने की सोची लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ की गंगा माँ ने जीवन की दिशा ही बदल दी मछलियों को आटे की गोली बना कर बेचना शुरू किया। कुछ पैसे आये,खाना मिलना शुरू हुआ धीरे धीरे फूलों को इकठ्ठा कर पूजा के लिए बेचना शुरू किया। फूल के एक दोने से शुरू हुआ काम आज एक बड़ा स्वरुप ले चूका है। ऋषिकेश के सभी मंदिरों ,शादी ब्याह और बड़े इवेंट में साथ ही बद्रीनाथ -केदारनाथ की सजावट में चन्दना फ्लावर के फूलों की सुगंध महकती है साथ ही कई शहरों में इनका बिजनेस फैल चुका है।कल की बेसहारा असहाय चंदना आज ऋषिकेश की बिजनेस वुमेन बन चुकी है जो हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर रही हैं। जो समय की मार,जीवन के उतार-चढ़ाव से घबरा कर अपने जीवन को दिशा नहीं दे पाते।चन्दना कहती हैं कि माँ गंगा ने उनका जीवन बदल दिया दुःख तकलीफ तो बहुत आए लेकिन हिम्मत और हौसले ने जीवन को आगे बढ़ा दिया।चन्दना कहती हैं कि अब इस इज्जत और सम्मान से अपने जैसी महिलाओ की मदद का जज्बा ही उनकी जिंदगी का मकसद बन गया है।