17 साल के मुकुल पंवार आज एक मशहूर नौजवान हैं। मुकुल एक नेशनल चैंपियन हैं, पिछले साल मार्च में मुकुल ने हिमाचल प्रदेश में हुई स्पेशल ओलंपिक भारत में स्नो-शूइंग कैटेगरी में दो गोल्ड मेडल जीते। इसके साथ साथ हाल ही में आॅस्ट्रिया में हुए अंतर्राष्ट्रीय स्पेशल ओलंपिक में मुकुल ने स्नो-शूइंग कैटेगरी में ब्रांज मेडल कमा कर अपना नाम किया।
मुकुल एक खास खिलाड़ी है। ये सिर्फ इसलिये नहीं कि मुकुल पैदाइश से ही सुन औऱ बोल नहीं सकता, बल्कि इसलिये भी कि मुकुल ने कभी भी अपनी शारीरिक क्षमता को अपने सपने साकरा करने के आढ़े नहीं आने दिया। मुकुल की इस कामयाबी के पीछे उनके माता-पिता का भी खासा योगदान हैं। पिता प्रताप पंवार ने अपनी अाफिस की नौकरी छोड़ कर अपने बेटे को उसकी मंजिल तक पहुंचने में मदद करने का फैसला किया, तो टीचर माँ बिजया पंवार ने भी अपने बेटे को भरपूर प्यार और हौंसला दिया। अपने बेटे की कामयाबी को याद करते हुए वो कहते हैं कि, “हमने कभी भी इतनी उम्मीद नहीं की थी, लेकिन अच्छा लगता है कि जिन लोगों के लिये मुकुल कुछ समय पहले तक कुछ नहीं था उनके लिये अब वो रोल माॅडल बन गया है।”
मुकुल के जीवन में ये बदलाव तब आया जब 3 साल पहले उसने दिल्ली कैंट स्थित आर्मी स्कूल में दाखिला लिया। मुकुल के स्पोर्टस टीचर सुधीर प्रसाद बताते हैं कि, “जब मैने पहली बार मुकुल को देखा था तो वो अपने जैसे और बच्चों की भीड़ में भी अलग दिख रहा था। उसकी शारीरिक बनावट देखकर मुझे यकीन था कि वो जरूर आने वाले दिनों में कामयाबी हासिल करेगा”
वहीं जब मुकुल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिये सफर नहीं कर रहा होता तो आप इस क्लास 12 के छात्र को कैनवस पर रंग भरते देख सकते हैं। मुकुल न सिर्फ अपने जैसे और बच्चों के लिये मिसाल है नहीं बल्कि हम सभी को ये सबक याद दिलाया है कि जहां चाह है वहां राह है।