लीची पर मौसम की मार, बागवानों को नुकसान और ग्राहकों की जेब पर असर 

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दून घाटी पर मौसम इस मई में गजब ढा रहा है, गर्मी और सूरज की तपिश से जहां लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है तो वही बागवानो को भी अंधी-तूफ़ान से भारी नुकसान हो रहा है। इसका सीधा असर दून की मशहूर औऱ रसीले फल लीची की फसल पर पड़ा है।आंधी तूफ़ान और तेज़ गर्मी, मौसम के इस बदलाव ने इस बार लीची की फसल पर खासा असर डाला है। दून-भोगपुर-रानीपखरी में लीची की फसल ख़राब हो गयी है और इस बार लीची के प्रेमियों को लीची के स्वाद के लिए और इंतज़ार करना पड़ेगा।

दून घाटी का जायदातर हिस्सा अपने फलो के बगीचे के लिए जाना जाता है। दून घाटी अपने रसीले फल लीची के लिए विशेष पहचान रखती और यहाँ के बागीचो में गर्मियों में मुह में पानी ले आने वाली लीची अपनी खुशबु बिखेरती है। डोईवाला, रानीपोखरी और भोगपुर, डालनवाला, ये दून घाटी के वो इलाके हैं जो लीची बागानों के लिए मशहूर हैं। इस साल लगातार हो रहे मौसमी बदलाव और गर्मी की तपिश ने बागवानो की पूरी मेहनत पर असर डाला है जिसके चलते लीची का उत्पादन घटा है।

मौसम के बदलाव के कारण इस बार देहरादून की मशहुर लीची को बाज़ार में आने के लिए थोडा और इंतज़ार करना पड़ेगा। लीची के स्वाद के कद्रदानो को इसकी थोड़ी ज्यादा कीमत भी चुकानी पड़ेगी। राज्य में कृषि और उद्यान के भारी भरकम विभाग तो हैं पर किसानो और बागवानो को हो रहे आर्थिक नुकसान के लिए कोई ठोस नीती नहीं है। जिसका खामियाजा यहाँ के लोगो को हर साल उठाना पड़ता है। मौसम की मार से हर साल लीची की फसलो को भारी नुकसान होता है लेकिन सरकार की कोई ठोस कृषि निति न होने से कभी भी किसानो और बागवानो की मदद नहीं हो पाती है। और वो साल दर साल भारी नुकसान उठाते है।