भारत की हर नारी में बसती है एक कल्पना, जरूरत है तो उसे उड़ान देने की

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ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में देश का नाम रोशन करने वाली बेटी कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धाजंलि दी तथा परमार्थ प्रांगण में कल्पना चावला की स्मृति में शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया गया। परमार्थ परिवार के साथ लद्दाख से आयी युवा बौद्ध भिक्षुणियों एवं विदेशी सैलानियों ने कुछ क्षण मौन रहकर उनकी आत्मा की शान्ति के लिये प्रार्थना की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ’भारत की बेटियों से आह्वान किया कि बेटियाँ केवल सपने देखे ही नहीं बल्कि उसे पूरा भी करे कल्पना चावला की तरह। भारत की हर नारी में एक कल्पना बसी है अतः उन्हे सम्मान दे; अवसर दे और संसाधन प्रदान करें ताकि देश की ये कल्पनायें ऊँची उड़ान भर सकें। बेटियों की कल्पना, कल्पना न रह जायें, उनका सपना, सपना न रह जायें बल्कि जीवन की हर ऊँचाई को वह छू सके। उन्होनेे कहा कि आज के युग में बेटियों को ’’संरक्षण नहीं, संसाधन चाहियें’’, वे प्रतिभाशाली और अद्म्य साहसी हैं। परन्तु एक कटु सत्य यह भी है कि आज भी हम बेटियों पर बेटों जैसा विश्वास नहीं कर पाते, इसका प्रमाण हमारे देश के लिंगानुपात से लगाया जा सकता है।