देहरादून। मिशन ऋषिपर्णा मात्र सरकारी आयोजन नही, बल्कि एक महा जनअभियान है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को महानगर भाजपा कार्यालय परेड ग्राउण्ड से देहरादूनवासियो और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि 19 मई शनिवार को आरम्भ होने वाले रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण को चलाए जा रहे अभियान ‘मिशन रिस्पना से ऋषिपर्णा’ में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें।
सीएम ने कहा कि 19 मई 2018 को रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान के तहत वृक्षारोपण के लिए गढ्ढे खोदे जाएगे। जुलाई के तीसरे सप्ताह में नदी के उद्गम शिखर फॉल से संगम मोथरोवाला तक एक ही दिन में सम्पूर्ण वृक्षारोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। रिस्पना के पुनर्जीवीकरण का अभियान कोई राजनीतिक मुद्दा नही है, बल्कि यह हमारे आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संचय के लिए सचिदानन्द भारती, श्रीश्री रविशंकर, वाटरमेन राजेन्द्र सिंह आदि द्वारा चलाए गए सभी अभियान जन सहयोग से ही सफल रहे। दुनिया के सभी सफल अभियानों व प्रयोगों में व्यापक जन भागीदारी व जन जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य सरकार रिस्पना के पुनर्जीवीकरण की तरह ही कुमाऊं की लाइफलाइन कोसी के पुनर्जीवीकरण के लिए भी जन भागीदारी पर फोकस कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि रिस्पना नदी में सम्पूर्ण वृक्षारोपण के तहत नदी के उद्गम लंढौर से मोथरोवाला तक एक ही दिन में 2.5 लाख पौधो का वृक्षारोपण किया जाएगा। इनमें 30 प्रतिशत फलदार पेड़ होगे। जो पशु, पक्षियों व वन्य जीवों के लिए भी लाभकारी होंगे। इस वृक्षारोपण के लिए सम्पूर्ण नदी तट पर ब्लॉक बनाए है। पौध रोपण क्षेत्र को छोटे- छोटे ब्लॉक में बांटा गया है। हर ब्लाक 2500 वर्ग मीटर का है, जिसमें 250 पौधे लगाए जाएंगें, यह दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में शनिवार 19 मई 2018 को गढ्ढे खोदे जाएंगे फिर दूसरे चरण में जुलाई 2018 के दूसरे हफ्ते में पौधे रोपे जाएंगे। मिशन रिस्पना पूरी तरह से वॉलियन्टर्स द्वारा श्रमदान से चलाया जाएगा। रिस्पना के किनारे बसे गांव, मोहल्ले व हर व्यक्ति को इस अभियान से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे है। इसमें सेना के ईको टास्क फोर्स, पुलिस, वन विभाग, एनजीओ, संस्थाओं, विद्यालयों, नागरिकों व एलबीएसएनएए के प्रक्षिशु आईएएस अधिकारियों द्वारा भी सहयोग किया जाएगा। हमें इस अभियान को सफल बनाने के लिए बड़ी जनशक्ति की जरूरत है। यह अभियान गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो सकता है।