ऐसे में कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी, जब सिंचाई नहरें हों खस्ताहाल

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चमोली, सरकार की ओर से किसानों की आय दोगुनी करने के दावे भले की किये जा रहे हों लेकिन जिस प्रकार से सिंचाई नहरों की खस्ता हालत होने के चलते सिंचाई का संकट बना हुआ है। उससे सरकार के दावे जमीनी हकीकत से दूर की कौड़ी बनी हुई है।

उत्तराखंड राज्य अलग बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि पहाड़ों में सिंचाई व्यवस्था भी चाक चौबंद हो जाएगी और काश्तकार मनमाफिक खेती कर अच्छी आमदनी हासिल कर पायेंगे। लेकिन ताज्जुब तो इस बात का है कि पिछली सरकारों ने सिंचाई बढ़ाओ ,खुशहाली लाओ का नारा दिया, लेकिन जिस प्रकार से सिंचाई व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया गया। इससे यह नारा भी सिंचाई विभाग की फाइलों में सिमट कर रह गया था।

अब वर्तमान सरकार ने 2022 तक काश्तकारों की आमदनी दोगुनी करने का नारा दिया है, लेकिन सिंचाई नहरों की बात करें तो कई नहरें क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच गई है। चमोली जिले की बमोथ और गौचर पनाई सिंचाई नहर की बात करें तो दोनों नहरों की हालत दयनीय बनी हुई है। नहरें जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने के कारण मलबे व झाड़ियों से पट्टी हुई हैं। इस कारण इस क्षेत्र के काश्तकारों को उनकी हजारों नाली कृषि भूमि को सिंचाई व्यवस्था तक नसीब नहीं हो पा रही है।

वर्तमान में गेहूं बुआई की तैयारी में काश्तकार जुटे हुए हैं। सिंचाई की दो-दो योजनाएं होने के बाद भी गौचर पनाई तथा विकासखंड पोखरी की बमोथ सिंचाई नहर पर आश्रित रहने वाले काश्तकारों को सिंचाई के अभाव में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सिंचाई विभाग से टका सा जवाब मिलता है कि धन के अभाव में नहरों की मरम्मत करना संभव नहीं हो पा रहा है।

काश्तकार विजया गुसाई, उर्मिला धरियाल, कंचन कनवासी, उमराव सिंह नेगी, पूर्व प्रधान प्रकाश रावत, सुधीर नेगी, पुष्कर सिंह नेगी, सुनील चमोली, प्रदीप लखेड़ा, महावीर रावत आदि का कहना है कि अलग राज्य बनने के बाद सिंचाई नहरों की हालत सुधरने के बजाय और खराब हो गई है जिससे काश्तकार समय पर फसलों की बुआई तक नहीं कर पा रहा है। किसी तरह बारिश के पानी से फसलों की बुवाई कर भी ली जाती है तो पकनें से पहले सिंचाई के अभाव में फसलें सूखने लग जाती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आमदनी दोगुनी कैसे होगी।

“बमोथ और गौचर-पनाई सिंचाई नहरों के सुधारीकरण के लिये वित्तीय प्रस्ताव तैयार किये जा रहे हैं। जल्द ही प्रस्ताव स्वीकृति के लिए शासन को भेजे जाएंगे। वित्तीय स्वीकृति मिलते ही नहरों का सुधारीकरण कर काश्तकारों की समस्या का समाधान किया जाएगा।” -बादल सिंह, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, चमोली