कालागढ़/गढ़वाल, इन दिनों कालागढ़ क्षेत्र में खिले पलाश (टेसू) के फूल अपने पूरे शबाब पर हैं। इन्हें देखकर लोग गुनगुनाने लगते हैं, फूल पलाश का, लाखों में हजारों में चेहरा जनाब का। जिस किसी की नजर इन फूलों पर पड़ती है, वह जीभर कर निहारता है। पलाश के रक्तिम फूलों से जंगल दहकने लगे हैं। पलाश का भारतीय संस्कृति, चिकित्सा और स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। वसंत में खिलने वाला यह फूल गरमी की प्रचंड तपन में अपनी छटा बिखेरता है। सूखे जंगलों में इनदिनों पलाश की धूम है।
पलाश के फूलों को जंगल की आग भी कहा जाता है। इन दिनों पलाश के पेड़ लाल फूलों से लदे हैं। इनके फूलों से होली के रंग तैयार किये जाते हैं। पलाश में तीन तरह के फूल उगते हैं। एक लाल, दूसरा सफेद और तीसरा पीला। सफेद फूल का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है।
पलाश को शास्त्रों में ब्रह्मा के पूजन अर्चन के लिए पवित्र माना है। पलाश के तीन पत्ते भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रतीक है। इसके त्रिपर्नकों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास माना जाता है।