यात्रियों की जेब पर एकांतवास का बिल पड़ा भारी, बुकिंग कैंसिल होने पर एयर इंडिया ने रद्द की उड़ान

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एलाइंस

उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान बंद हवाई सेवा सोमवार को शुरू तो हुई लेकिन एकांतवास का शुल्क चुकाना यात्रियों की जेब पर फ्लाइट के किराए के मुकाबले भारी पड़ रहा है। लिहाजा दिल्ली-देहरादून-पंतनगर के बीच संचालित एयर इंडिया की फ्लाइट को पर्याप्त यात्री नहीं मिलने के कारण आज अपनी उड़ान निरस्त करनी पड़ गई।

दिल्ली-देहरादून-पंतनगर रूट पर पहले से संचालित एयर  इंडिया की फ्लाइट सोमवार से शुरू हुई तो पहले दिन इसमें दिल्ली से मात्र 3 यात्रियों ने ही सफर किया और पंतनगर से आठ यात्रियों ने देहरादून के लिए उड़ान भरी थी। इन सभी यात्रियों को एकांतवास में भेजा गया लेकिन उसके लिए वहां खर्च इन्हें चुकता करना होगा। सरकार ने ऐसे यात्रियों के लिए पहले ही स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि फ्लाइट से आने वाले यात्रियों को एकांतवास का बिल चुकता करना होगा। इसी के चलते आज हवाई सफर करने वाले यात्रियों की संख्या घटने लगी। एयरपोर्ट अधिकारियों का भी मानना है कि एकांतवास का बिल यात्रियों द्वारा चुकता करने की वजह से फ्लाइट की बुकिंग कैंसिल कराने के मामले ज्यादा बढ़े हैं।

आज मंगलवार को दिल्ली से देहरादून व पंतनगर के लिए 54 टिकट बुक हुए थे, जिनमें 52 यात्रियों ने बुकिंग कैंसिल करवा दी। पंतनगर से देहरादून और दिल्ली के लिए 39 टिकट बुक हुए थे, जिनमें से 33 ने बुकिंग कैंसिल करवा दी। लिहाजा एयर इंडिया को इस रूट पर फ्लाइट निरस्त करनी पड़ी। एकांतवास की बिल चुकाने को फ्लाइट से यात्रा करने वाले लोग अतिरक्त और भारी-भरकम बोझ के रूप में देख रहे हैं। नतीजतन, वह अपने हवाई टिकट रद्द करा रहे हैं।

उधर, मंगलवार को स्पाइसजेट की फ्लाइट से दिल्ली से देहरादून 41 यात्री आए और 34 यात्री वापस गए। स्पाइस जेट का विमान सुबह 8:00 बजे पहुंचा। सभी 41 हवाई यात्रियों को एकांतवास में भेज दिया गया। यात्रियों का मानना है कि एकांतवास के दौरान अगर वह होटल में रहते हैं तो उस पर तकरीबन 20 से 30 हजार रूपये खर्च होंगे जबकि पंतनगर से देहरादून का किराया मात्र 600 से 1000 रुपये के बीच है। जबकि देहरादून से दिल्ली का किराया दो से तीन हजार रूपये के बीच है। एयरपोर्ट निदेशक एसके सिंह का भी मानना है कि फ्लाइट के यात्रियों पर एकांतवास का खर्च टिकट की तुलना में भारी पड़ रहा है, जिसके कारण लोग बुकिंग निरस्त करवा रहे हैं।

हालांकि सरकार ने विमानन कंपनियों को तीन माह तक किराया नहीं बढ़ाने की हिदायत दे रखी है। इसके साथ ही 40 फीसदी टिकटों की बिक्री सस्ती दरों पर करने के निर्देश दिए हैं। इन सबके बावजूद एकांतवास किये जाने का खर्च जेब से चुकता करना हवाई यात्रियों को सुहा नहीं रहा है और एक दिन बाद ही उसका असर उड़ानों पर साफ दिखाई देने लगा है।