टिहरी, सप्ताहभर बाद टिहरी बांध की झील में डूबी फ्लोटिंग मरीना बोट मंगलवार को झील का जलस्तर घटने से बाहर आ गई। मुंबई से पहुंची वेस्ट कोस्ट मरीन कंपनी के इंजीनियरों की टीम ने मरीना को हुए नुकसान का जायजा लिया। कंपनी के इंजीनियर जांच पूरी करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौपेंगे।
टिहरी बांध झील में करीब चार करोड़ की लागत से उतारा गया तैरता हुआ रेस्टोरेंट झील का जलस्तर कम होने और हवा के दबाव से टेढ़ा होकर बीते 7 अप्रैल को झील में समा गया था। इसके बाद जीएमवीएन, पर्यटन विभाग ने मरीना को रस्सों से बांध कर झील में डूबने से बचाया।
एई, यूपी निर्माण निगम के अतुल मलासी ने बताया कि सोमवार को फ्लोटिंग मरीना बोट को असेम्बल करने वाली वेस्ट कोस्ट मरीन कंपनी की चार सदस्यीय टीम मरीना को हुए नुकसान की जांच करने पहुंची लेकिन मरीना का आधे से ज्यादा हिस्सा डूबा होने के चलते इसकी जांच नहीं कर पाई। मंगलवार को झील का जलस्तर कम होने के बाद मरीना बाहर आ गई। इसके बाद टीम ने रस्सों की मदद से मरीना को सीधा किया। इसके बाद इसके मरीना के इंजन साथ इसके बेसमेंट की जांच की। कोट, वेस्ट कोस्ट कंपनी के इंजीनियरों ने ही फ्लोटिंग मरीना को असेम्बल किया था।
टिहरी झील को साहसिक खेल गतिविधियों का केंद्र बनाने की कवायद वर्ष 2015 में शुरू की गई थी। इसके निर्माण के पीछे सरकार और विभाग की मंशा थी कि टिहरी झील घूमने आने वाले पर्यटकों को मरीना एक नया अहसास और रोमांच देगा। तैरते मरीना में पर्यटक खाने पीने का लुत्फ उठा सकेंगे लेकिन उसके बाद मरीना का संचालन विभाग शुरू नहीं करा पाया। काफी मशक्कत के बाद पर्यटन विभाग इसे पटरी पर ला पाया था। पिछले साल 16 मई को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट भी मरीना के ऊपर हुई थी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मरीना सहित टिहरी झील के विकास की बात यहां पर कही थी।
मरीना डूबने पर प्रदेश में पक्ष-विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप खुले तौर पर जारी है। एक ओर जहां भाजपा कांग्रेस पर ठिकरा फोड़ रही है तो वहीं कांग्रेस भाजपा सरकार की विफलता से जोड़कर सरकार को आड़े हाथ लेने में कोई कसर नही छोड़ रही है। मरीना डूबने की प्रकरण पर सरकार की ओर जांच बैठा दी गई है।