शुक्रवार को वसंतोत्सव का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि राजभवन में 2003 से प्रारम्भ किया जाने वाला वसंतोत्सव, देहरादून की पहचान बन चुका है। पुष्प प्रदर्शनी के रूप में शुरू हुआ यह आयोजन दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय होकर अब एक बडे़ सांस्कृतिक व आर्थिक महोत्सव में बदल चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य में पुष्प उत्पादन से समृद्धि लायी जा सकती है। यहां कृषि एवं फूलों के उत्पादन के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं जो उत्तराखंड के लिए एक वरदान साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमें पुष्प उत्पादन को कॉपरेटिव व कार्पोरेट और कांन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग से जोड़ा जाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां एवं उपलब्ध जलवायु पुष्पोत्पादन के लिए उपयुक्त है। कम क्षेत्रफल से अधिक आय प्राप्त होने के कारण कृषकों/उत्पादकों में इसके उत्पादन की अभिरुचि में वृद्धि हो रही है। प्रतिवर्ष राजभवन के प्रांगण में वसंतोत्सव के आयोजन से पुष्पोत्पादन के क्षेत्र में जनसाधारण एवं कृषकों में विशेष जागरूकता एवं अभिरुचि विकसित हुई है। उत्तराखंड राज्य के गठन से पूर्व प्रदेश में मात्र 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पुष्प उत्पादन होता था, जो वर्तमान में बढ़कर 1609.93 हेक्टेयर हो गया है, जिसमें गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा के अतिरिक्त कटफ्लावर के रूप में जरबेरा, कारनेशन, ग्लेडियोलस, लीलियम, गुलदाउदी, आर्किड आदि का प्रमुखता से व्यवसायिक उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में लगभग 3022.90 मै. टन लूज फ्लावर (गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा एवं अन्य) तथा 14.43 करोड़ कटफ्लावर का उत्पादन हो रहा है। वर्तमान में राज्य में लगभग 250.00 करोड़ रुपये के फूलों का व्यापार किया जा रहा है।
वसंतोत्सव के मुख्य आकर्षण में कट फ्लावर, पॉटेड प्लान्टस प्रबन्धन, लूज फ्लावर प्रबन्धन, पुष्प के अतिरिक्त पॉटेड प्लान्टस के साथ-साथ रूफटॉप गार्डनिंग (सब्जियां), कैक्टस एवं सकुलेन्ट्स, बोन्साई, टेरारियम, हैंगिंग पॉटस, विभिन्न प्रकार के गमले, ऑन द स्पॉट फोटोग्राफी शामिल है। आयोजन में ताजे पुष्प दलों की रंगोली, खाने योग्य पुष्पों की प्रतियोगिता, लॉन, शहद, विद्यालयी एवं अन्य बच्चों हेतु पेंटिंग प्रतियोगिता (05 से 18 वर्ष आयु वर्ग) भी आयोजित की गई है।
16 मुख्य प्रतियोगिताओं की श्रेणी में कुल 62 उप श्रेणी हैं, जिनमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार दिये जाएंगे। इस प्रकार कुल 186 पुरस्कार निर्णायक मण्डल के निर्णय के उपरान्त 05 मार्च को विजेताओं को प्रदान किये जाएंगे। इस वर्ष प्रतियोगिता में पहली बार 04 नई श्रेणियां यथा-रूफटॉप गार्डनिंग, बोन्साई, टेरारियम एवं शहद सम्मिलित की गयी हैं। साथ ही अधिक से अधिक पुष्प उत्पादकों को पुरस्कृत करने के उद्देश्य से कट फ्लावर प्रतियोगिता के अन्तर्गत मात्र व्यक्तिगत एवं कृषकों की ही प्रतिभागिता सुनिश्चित की जायेगी।
इस वर्ष तिमरू को विशेष आवरण जारी किये जाने हेतु चयनित किया गया है। तिमरू उत्तराखंड सहित अन्य पर्वतीय राज्यों में पाये जाने वाला एक कांटेदार, सदाबहार, झाड़ीनुमा पौधा है। तिमरू में विभिन्न औषधीय गुण विद्यमान हैं।