कुमाऊंनी ऐपण कला से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा

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बागेशवर जिले में टेक्सटाइल प्रिंटर के तहत कुमाऊंनी ऐपण कला के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वह कुमाऊंनी ऐपण कला को सीख कर स्वरोजगार अपना सके। कुमाऊं की ऐपण कला की देश-विदेश में काफी मांग है।

जन शिक्षण संस्थान के तत्वाधान में टैक्सटाइल प्रिंटर द्वारा बीस महिलाओं को ऐपण कला की बारिकियां सिखाई जा रही हैं। ऐपण कला को धार्मिक एवं सांस्कृतिक लोक कला के तहत जीआइ टैग मिला है। प्रशिक्षक कंचन उपाध्याय ने बताया कि पूजा कक्ष से लेकर संस्कार संपन्न कराने में ऐपण का महत्व है। ऐपण सीखने के लिए महिलाएं भी काफी उत्साहित हैं।

कुमाऊं की ऐपण कला की अब देश-विदेश में मांग भी होने लगी है। ऐपण कला सीखने से महिलाएं इससे अपना रोजगार का जरिया भी बना सकेंगे। ऐपण से विभिन्न यंत्र और अभिरूप बनाने की परंपरा है। चावल, गेरू, गेहूं का आटा, सूखी मिट्टी के रंग, रोली, हल्दी आदि का प्रयोग ऐपण बनाने में किया जाता है

महिलाएं ऐपण कला की बारीकियां सीख कर हुनर को निखारने में लगी हैं। ऐपण एक तरह से भारतीय चित्रकला की विशेषता है। रेखाएं ही मूल रूप से लयबद्ध होकर किसी भी आकार का रूप देती है। ऐपण कला के तहत चौकियों, पूजा की थाली, गमछे, जूट के बैग, फ्रेम आदि डिजायन सिखाए जा रहे हैं। ऐपण की बारिकियों को सीखने पर महिलाएं काफी उत्साहित हैं।