नैनीताल का रहस्यमयी ‘परी ताल’, कहते हैं- यहां परियां स्नान करने आती हैं

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नैनीताल

झीलों के जनपद नैनीताल में कहा जाता है कि यहां 60 ताल थे। इनमें से अब तक भीमताल, राम, लक्ष्मण व सीता ताल से मिले सातताल, गरुण ताल, नलदमयंती ताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, सरिताताल, हरीश ताल, लोहाखाम ताल व भालूगाड़ ताल सहित करीब एक दर्जन तालों के बारे में ही लोगों को पता है। लेकिन आज हम एक ऐसे रहस्यमयी ताल के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम रहस्यमयी तौर पर ही ‘परी ताल’ है।

सड़क से करीब ढाई किलोमीटर दूर, दो नदियों के पार ताजे मीठे पानी की इस ताल के बारे में कहा जाता है कि यहां हर पूर्णिमा की रात अपने नाम के अनुरूप परियां स्नान करने को आती हैं। इस दौरान यदि उन्हें यहां मौजूद कोई व्यक्ति पसंद आ जाता है तो वह उसे अपने साथ परी लोक ले जाती हैं।

परी ताल पहुंचने का रास्ता नैनीताल जनपद में भवाली-भीमताल के बीच खुटानी से मुक्तेश्वर की ओर जाने वाले मार्ग पर चांफी नाम के स्थान से पैदल जाता है। नैनीताल से करीब 23 किलोमीटर चांफी तक वाहन से पहुंचने के बाद चांफी के अंग्रेजी दौर के बने झूला पुल के बगल से परी ताल को पैदल रास्ता जाता है। करीब ढाई किलोमीटर के इस रास्ते में दो नदियों को पार भी करना पड़ता है, और आखिर एक नदी के बीच पहाड़ से झरते सुंदर झरने से भरने वाला गहरे नीले रंग के ताजे पानी से भरा सुंदर परी ताल देखा जा सकता है। ताल में पानी अत्यधिक गहरा है इसलिए यहां लोगों को नहाने से रोकने के लिए संभवत: यहां परियों द्वारा पसंद आने वाले व्यक्ति को साथ ले जाने की दंतकथा जुड़ी हो। यह भी है कि स्थानीय लोग भी यहां जाने से परहेज करते हैं, कई लोग यहां उड़ती हुई परियों को देखे जाने का दावा भी करते हैं।

यहां जाकर लौटे नगर के गुड्डू ठठोला व यूट्यूबर पंकज बिष्ट ने बताया कि बरसात के मौसम में यहां दो नदियों को पार करके जाना और यहां किसी भी तरह की जल क्रीड़ा खतरनाक हो सकती है। हालांकि प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से यह स्थान वाकई परी लोक सरीखा है और पर्यटन के लिए एक नया आयाम साबित हो सकता है।