पेयजल निगम की 537 योजनाएं तीन साल से ठंडे बस्ते में

0
791

बारिश की बूंदे यूं तो राहत देती हैं, लेकिन उत्तराखंड में बारिश के कारण पेयजल निगम की 537 योजनाएं तीन साल से ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। इससे एक लाख से ज्यादा की आबादी को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, निगम इन योजनाओं को दुरुस्त करने के लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।

उत्तराखंड में बीते तीन वर्ष में हुई बारिश ने पेयजल योजनाओं को खासा नुकसान पहुंचाया है। कभी मलबा आने के कारण, तो कभी भूस्खलन के कारण पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त होती रही हैं। फिलहाल उत्तराखंड के नौ जिलों की 537 योजनाएं क्षतिग्रस्त पड़ी हैं।  इनमें सबसे ज्यादा 210 योजनाएं पिथौरागढ़ जिले में हैं, जबकि 120 योजनाओं के साथ देहरादून जिला दूसरे स्थान पर है। उत्तरकाशी व चमोली में यह आंकड़ा सबसे कम दस-दस योजनाओं का है। जब निगम ने इन योजनाओं को ठीक करने का प्रस्ताव तैयार किया तो बजट 20 करोड़ रुपये जा पहुंचा।

इसके लिए निगम ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत केंद्र सरकार से दैवीय आपदा मद में बजट की मांग की। लेकिन, अब तक निगम को पैसा नहीं मिला, जिस कारण इन योजनाओं का काम अधर में लटका हुआ है। पेयजल निगम के मुख्य अभियंता प्रभात राज का कहना है कि इन योजनाओं की मरम्मत के लिए शासन व केंद्र सरकार को पत्र भेजा है। पैसा मिलते ही क्षतिग्रस्त योजनाओं को ठीक करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।