देहरादून। भूमिगत लाइनों की योजना पर केंद्र के झटके के बाद उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं। यूपीसीएल एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से ऋण के लिए प्रस्ताव देने की योजना बना रहा है। क्योंकि, एडीबी से मिलने वाला ऋण भी तय वक्त पर काम पूरा करने पर अनुदान में तब्दील हो जाता है।
गत मई में पीयूष गोयल देहरादून आए थे। तब वह केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। उन्होंने इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) के तहत इन तीन शहरों के साथ ही राज्य के अन्य पर्यटक स्थलों में बिजली की लाइनें भूमिगत करने की बात कही थी। इस पर यूपीसीएल ने देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल में बिजली लाइनें भूमिगत करने का करीब 1800 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। लेकिन, केंद्र ने शुरुआत में सिर्फ देहरादून के लिए 20 फीसद धनराशि देने की सैद्धांतिक सहमति दी है। दून में इस कार्य पर 980 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यूपीसीएल के पास संसाधन सीमित हैं और वह अपने दम पर बिजली लाइनों को भूमिगत करने में असमर्थ है। यूपीसीएल प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने बताया कि एशियन डेवलपमेंट बैंक के समक्ष प्रस्ताव भेजने की तैयारी की जा रही है। ऋण स्वीकृत हुआ तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। देहरादून में केंद्रीय, उत्तर एवं दक्षिण खंड से जुड़े हुए इलाकों को डीपीआर में शामिल किया है। 33केवी और 11केवी की सभी लाइनों व मुख्य मार्गों पर पड़ने वाली एलटी लाइनों को भूमिगत करना प्रस्तावित है।
ये लाइनें होनी हैं भूमिगत
शहर, 33केवी लाइन, 11केवी लाइन, एलटी लाइन
देहरादून, 90 किमी, 300 किमी, 160 किमी
ये होंगे फायदे
-आंधी-तूफान से लाइनों में फाल्ट नहीं आएगा।
-कटिया डालकर बिजली चोरी करने पर लगाम लगेगी।
-शहर को तारों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी।
-बिजली पोल हटने से यातायात व्यवस्था भी ठीक होगी।
-भूमिगत लाइन में फाल्ट आएगा तो दूसरे सर्किट से बिजली आपूर्ति होगी।