धर्मनगरी में फॉरेन रिटर्न हैं गणपति

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हरिद्वार, गणपति विसर्जन गुरुवार को पूरे देश में एक साथ किया जा रहा है। यहां भी विसर्जन का कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन यहां के केशव आश्रम के मंदिर में स्थापित गणपति देश के ऐसे इकलौते गणपति हैं जो विदेश की यात्रा भी कर चुके हैं। करीब 160 साल पहले यह गणपति लंदन ले जाए गए थे। बाद में उन्हें वापस भेजा गया था। यह हरिद्वार के सिद्ध पीठ केशव आश्रम मंदिर में स्थापित हैं। इसके पीछे की हकीकत काफी रोचक है। इसे ले जाने वाली कोई और नहीं बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के एक अफसर की पत्नी थीं, जिन्हें यहां की गणपति की मूर्ति बहुत भा गयी थी तो वह इसे अपने साथ लंदन लेकर चली गयीं थीं। मजेदार यह कि इस मूर्ति को ले जाने से कहीं अधिक इसे वापस भेजने की कहानी है।
सिद्ध पीठ केशव आश्रम मंदिर में हैं लंदन यानि फॉरेन रिटर्न गणपति 
धर्मनगरी में सिद्ध पीठ केशव आश्रम मंदिर में स्थापित गणपति को फॉरेन रिटर्न गणपति के नाम से ही जाना जाता है। देश-विदेश से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणपति के साथ भगवान शिव मां पार्वती और मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां हर मुराद पूरी होती है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में गणपति के दर्शन से दिव्य अनुभूति होती है। हरिद्वार में कई देशों के लोग भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने आते हैं। एक अंग्रेज अधिकारी कर्नल प्रो. बी काटले की धर्मपत्नी को तो केशव आश्रम में स्थापित गणपति इस कदर भा गए था, कि वह उन्हें अपने साथ ही लंदन ले गई थीं। गणपति को लंदन ले जाने और फिर भारत वापस लाने का किस्सा बहुत ही दिलचस्प है।
हरिद्वार के इन फॉरेन रिटर्न गणपति के बारे में ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि सन 1858 में अंग्रेज हरिद्वार से कानपुर तक नहर का निर्माण करा रहे थे। यहां पर अंग्रेज अफसरों का अपने परिवार के साथ आना-जाना लगा रहता था। अंग्रेज नहर निर्माण स्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित सूरत गिरि बंगले में रहा करते थे। जहां पर हरिद्वार से नहर का निर्माण हो रहा था, वहां मायापुर क्षेत्र में सिद्ध योगी स्वामी केशवानंद का आश्रम था, जो नहर के रास्ते में पड़ रहा था। नहर के निर्माण के मुख्य अभियंता कर्नल प्रो. बी कोटली ने कई बार आश्रम को हटाना चाहा लेकिन हर बार उनकी कोशिश विफल रही। इसी आश्रम में स्थापित मां कात्यानी और मां पार्वती के साथ मंदिर में गणपति भी स्थापित थे।
फॉरेन रिटर्न गणपति के लंदन जाने की कहानी है दिलचस्प 
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि एक बार अंग्रेज अफसर कर्नल काटले अपने परिवार के साथ आए तो यहां उनकी पत्नी को मंदिर में स्थापित गणपति की प्रतिमा इतनी भा गई थी कि वह वापस जाते वक्त इस गणपति की प्रतिमा को अपने साथ लंदन ले गई और उसने अपने घर में उस प्रतिमा को रख लिया। प्रो. काटले के घर में मूर्ति के जाने के बाद से ही उनका बेटा बीमार रहने लगा और तमाम डॉक्टरों के इलाज के बाद भी उसकी बीमारी ठीक नहीं हो पा रही थी। कहा जाता है कि एक दिन काटले की पत्नी को सपने में हाथी का बच्चा दिखाई दिया। सपने में उसने उससे कहा कि मुझे मेरी मां के पास वापस ले चलो मुझे मेरी मां से मत अलग करो। उस सपने की बात को उस वक्त काटले की पत्नी ने हरिद्वार में अपने पति को सूचना देकर बताई।
इसके बाद अंग्रेज अफसर केशव आश्रम में स्वामी केशवानंद के शिष्य योगी श्यामाचरण लाहिणी महाराज से मिले। तब उन्होंने बताया कि यहां से आपकी पत्नी गणपति जी को अपने साथ ले गई हैं और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। कहा कि इसके कारण ही उनके घर में कष्ट है। योगी लाहिणी ने उनसे गणपति की मूर्ति को भारत लाने को कहा। इसके बाद किसी तरह से उन्होंने अपने घर लंदन से गणपति की उस प्रतिमा को वापस भारत मंगवाया। फिर केशव आश्रम मंदिर में उस गणपति की मूर्ति को स्थापित करवाया। इसके बाद उनका बेटा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया था। तभी से इस गणपति की प्रतिमा को फॉरेन रिटर्न गणपति कहा जाता है।