मिसाल: विदेशी हाथ फिर संवार रहे हैं उत्तराखंड के वीरान गांवों को

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उत्तराखंड का पौड़ी और अल्मोड़ा जिला पलायन की दृष्टि से सबसे ज्यादा संवेदनशील है। आंकड़ें बताते हैं कि ये दो जिलें ऐसे है जिनमे सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। लेकिन इन ज़िलों में पलायन को चुनौती देने औऱ सूने पड़े गांवों को बसाने के लिेये अब विदेश से भी हाथ आगे आये हैं। इंटनेशनल राउंड स्काव्यर क्मयूनिटी नाम की संस्था ने पौड़ी के डूंगरी गांव में एक कम्यूनिटी हॉल बनाकर गांव को दोबारा बसाने की अनूठी मिसाल पेश की है।

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दून स्कूल के अंबिकेश शुक्ला इस संस्थान के कोऑर्डिनेटर हैं।  उनके ही संरक्षण में कम्यूनिटी हॉल बनाने का काम दिसंबर में शुरु किया गया और अब इसका काम लगभग पूरा हो चुका है। अंबिकेश ने  न्यूजपोस्ट को बताया कि ”पौड़ी में बहुत से गांव हैं जिनमें पलायन हो चुका है और वो घोस्ट विलेज की श्रेणी में आ चुके है।पलायन को कम करने के लिहाज़ से हमने पौड़ी के डूंगरी गांव को चुना जिससे आसपास के सभी गांव के युवाओं को एक मौका मिल सके अपने गांव में रहकर कुछ करने का। अंबिकेश कहते हैं कि “इस क्मयूनिटी सेंटर को बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण था कि इसमे हम गांव के युवाओं को नि-शुल्क स्किल ट्रेनिंग दे सके। इसके लिए अपने कुछ विदेशी दोस्तों से मदद ली और इसको बनाने में दून स्कूल ने भी अपनी तरफ से कुछ फंड दिया।” अंबिकेश कहते हैं कि, “पहले भी दून स्कूल ने आपदा के बाद रुद्रप्रयाग में एक से डेढ़ करोड़ लागत का स्कूल बनाया है क्योंकि तब उस क्षेत्र को स्कूल की जरुरत थी अब राज्य में पलायन को रोकने के लिए दून स्कूल की यह छोटी सी कोशिश है।” यहां के स्कूली बच्चों ने एलईडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग ली है औऱ अब कोशिश है कि यह बच्चें गाँव के लोगों को यह सिखाकर स्वावलंबी बनने में मदद करे।

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पेशे से वकील पूरण सिंह नेगी ने अपनी ज़मीन बिना किसी पैसे के कम्यूनिटी सेंटर को बनाने के लिये दी। पूरण कहते हैं कि, ‘इस ज़मीन को देने के पीछे सबसे बड़ा कारण था आसपास के गांवों से हो रहे पलायन को रोकना। इस क्मयूनिटी हॉल के बनने से गांव वालों के पास एक जगह होगी जहां एक साथ बैठ कर वह कुछ भी नया सीख सकते हैं। साथ ही बेरोज़गार युवाओं के पास स्किल ट्रेनिंग लेने का भी विकल्प है।3cd4d05a-a9d0-4bdb-97db-5afdf6cae9d6

इस काम में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले मनीष जोशी भी इस कम्यूनिटी सेंटर को लेकर खासे उत्साहित हैं। मनीष कहते हैं कि, “अब तक राउंड स्काव्यर के लगभग 50-52 स्कूल हैं। इस ग्रुप के लोग पहले फंड इकट्ठा करते हैं फिर अपने रिर्सोसेस के माध्यम से नए काम करते हैं। जैसा कि डूंगरी गांव में भी इन्होंने ईंट,पत्थर,सीमेंट से लेकर सारी मजदूरी खुद की है। इस अंर्तराष्ट्रीय ग्रुप ने ना केवल गांव में एक कम्यूनिटी सेंटर बनाया है बल्कि आने वाले समय में वह गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिये अंर्तराष्ट्रीय स्तर के टीचरों को यहां लाने की तैयारी कर रहे हैं। इस कम्यूनिटी सेंटर में योगदान देने वालों ने बिना किसी सरकारी मदद के अपने पैसों और अपना समय देकर इस कम्यूनिटी सेंटर को तैयार किया है।

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मनीष ने ना केवल एक संरक्षक का काम किया है बल्कि 20-25 विदेशियों के रहने से लेकर सभी सुख-सुविधाओं का ध्यान मनीष ने रखा है।टीम न्यूजपोस्ट मनीष,अंबिकेश और पूरण जैसे लोगों को तहे दिल से सलाम करती है जिन्होंने बिना किसी व्यक्तिगत फायदे के  पौड़ी जिले में पलायन रोकने के लिए उम्दा पहल की है।