उत्तराखंड में मैदान से लेकर पहाड़ तक के जंगलों को आग ने अपने आगोश में ले लिया है। पहाड़ियां धधक रही है और आसमान धुंए से सफेद होता दिख रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड की पहाड़ियां जल रही हो। ऐसा हर साल होता है। सोमवार को एक दिन में वनाग्नि की रिकाॅर्ड 52 घटनाएं हुईं। हालांकि जहां कहीं से भी जंगल में आग की सूचना मिल रही है, विभाग की टीम मौके पर जाकर बुझाने का प्रयास कर रही है। विभाग ने अब तक पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा किया है। वहीं, कुछ अज्ञात के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है।
प्रदेश में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। गढ़वाल में नई टिहरी वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र से लेकर केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के जंगलों में आग भड़की है। जबकि कुमाऊं में बागेश्वर वन प्रभाग, पिथौरागढ़ वन प्रभाग, चंपावत वन प्रभाग के जंगल आग से धधक रहे हैं। चंपावत वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में आग की एक दिन में 11 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में पांच घटनाएं हुई हैं। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में एक, राजाजी टाइगर रिजर्व में एक, लैंसडाउन वन प्रभाग में एक, उत्तरकाशी वन प्रभाग में दो, नरेंद्रनगर वन प्रभाग में चार, तराई पूर्वी वन प्रभाग में एक वनाग्नि की घटना का मामला सामने आया है। अपर प्रमुख वन संरक्षक की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक गढ़वाल मंडल के जंगलों में आग की 14, कुमाऊं मंडल में 35 और वन्यजीव क्षेत्र में आग की तीन घटनाएं हुई हैं। इससे एक दिन में 76 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने सभी डीएफओ को जंगल में आग लगाने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं ग्रामीणों से कहा है कि खर-पतवार न फूंका जाए।
उन्होंने बताया कि जंगलों में आग लगाने पर पांच नामजद लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। मसूरी वन प्रभाग के तहत दो और देहरादून वन प्रभाग के तहत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। इसके अलावा कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मुकदमा किया गया है। जिनकी पहचान की जा रही है।