देहरादून, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बार श्राइन बोर्ड और गैरसैंण के मुद्दे की गरमी महसूस की जा सकती है। तमाम अन्य मुद्दों के अलावा विपक्ष इन दो मामलों पर भी फोकस करने जा रहा है। दूसरी तरफ सरकार ने फलोर मैनेजमेंट के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है। दोनों ही मामलों में सरकार अपने तर्कों की धार को पैना करने में जुटी है।
यूं तो कानून व्यवस्था, खेती किसानी, रोजगार जैसे मसलों पर सरकार की घेराबंदी के लिए विपक्ष ने पहले से तैयारी की हुई है, लेकिन श्राइन बोर्ड और गैरसैंण के मौके ऐन सत्र से पहले उसके हाथ लगे हैं। गैरसैंण में साल भर में इस बार एक भी सत्र नहीं हो पाया है। कांग्रेस इस पर सवाल उठा रही है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत तो विरोधस्वरूप सत्र की शुरूआत वाले दिन चार दिसम्बर को गैरसैंण में उपवास में बैठने जा रहे हैं। हालांकि यह कार्यक्रम हरीश रावत ने अपने स्तर पर दिया है और पूरी पार्टी का यह कार्यक्रम नहीं है। इसके बावजूद, गैरसैंण पर माहौल बनाने में उपवास अहम भूमिका निभाएगा।
उत्तराखंड के चारों धामों समेत 50 से ज्यादा मंदिरों को मिलाकर श्राइन बोर्ड के गठन के फैसले पर हक हकूकधारी विरोध जता रहे हैं। कांग्रेस विरोध की इस आग पर अपनी रोटी सेंकना चाहती है, मगर भाजपा इस तर्क के साथ उस पर पलटवार कर सकती है कि उसकी सरकार में ही 2004 में मिलते जुलते विचार के साथ चार धाम यात्रा विकास परिषद का गठन किया गया था।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक प्रीतम सिंह कह रहे हैं कि जनता से जुडे़ किसी भी मुद्दे पर सरकार को बख्शा नहीं जाएगा। दूसरी तरफ, कार्यवाहक संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि विपक्ष के हर सवाल का सरकार के पास जवाब है।